Wednesday - 30 October 2024 - 6:26 PM

यूपी में क्या कांग्रेस इस बार बदलेगी रणनीति..

जुबिली न्यूज डेस्क 

लखनऊ: अगले साल लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। एक बार फिर कांग्रेस तमाम लोगों को पार्टी में शामिल करवा रही है। दूसरे दलों से नेताओं के आने का सिलसिला जारी है। ठीक उसी तरह जैसे, साल 2019 के लोकसभा चुनावों में था। हालांकि, अगर पिछले चुनावों का हाल देखें तो चुनाव के वक्त कांग्रेस का हाथ थामने वालों ने ऐन चुनाव बाद ही पार्टी से किनारा कर लिया। जो कुछ बचे भी रहे, वे भी पूरी तरह निष्क्रिय हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने अपना दल कमेरावादी और बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी से गठबंधन किया था। इसके अलावा सपा और बसपा से तमाम नेताओं ने कांग्रेस का हाथ थामा था। इनके पार्टी जॉइन करते ही फौरन टिकट दे दिया गया। लेकिन चुनावों में उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली तो उन्होंने फौरन पार्टी छोड़कर अपने लिए मुफीद पार्टी चुन ली। यही नहीं गठबंधन में भी जो साथी थे, वे भी चुनाव बाद ही पार्टी से अलग हो गए। अपना दल कमेरावादी फिलहाल सपा के साथ गठबंधन में है। वहीं, जन अधिकार पार्टी का अभी किसी से गठबंधन नहीं है।

दूसरे दल वाले रुके नहीं, अपने भी गए

दूसरे दल वाले तो चुनाव बाद कांग्रेस में रुके नहीं, बल्कि जो कांग्रेस के पुराने नेता थे, उन्होंने भी चुनाव बाद पार्टी से किनारा कर लिया है। हरेंद्र मलिक कांग्रेस में थे जबकि 2022 के विधान सभा चुनाव के पहले पूर्व विधायक पंकज मलिक के साथ उन्होंने भी सपा जॉइन कर ली थी। हरेंद्र मलिक ने कैराना सीट से चुनाव लड़ा था। सहारनपुर से चुनाव लड़े इमरान मसूद 2022 के विधान सभा चुनाव में सपा के साथ हो गए थे और उसके बाद बसपा चले गए थे। हालांकि अब वह दोबारा कांग्रेस में लौट आए हैं।

बरेली के पूर्व सांसद प्रवीन ऐरन भी अब सपा में हैं। धौरहरा से कांग्रेस के सिंबल पर लड़े जितिन प्रसाद अब भाजपा में हैं और प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं। उन्नाव से सांसद रहीं अन्नू टंडन अब सपा में हैं। सुलतानपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे डॉ़ संजय सिंह अब भाजपा में हैं। प्रतापगढ़ से प्रत्याशी रहीं रत्ना सिंह भी अब भाजपा में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह कुशीनगर सीट से कांग्रेस का चुनाव लड़े थे। फिलहाल इनका भी ठिकाना भाजपा ही है। ललितेशपति त्रिपाठी ने मीरजापुर सीट से कांग्रेस के सिंबल पर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह अब टीएमसी में हैं।

ये भी पढ़ें-India GDP Growth को लेकर एक और अच्छी खबर, TOP-10 में सबसे ऊपर इंडिया

क्या उम्मीदें टूट जाने से छोड़ देते हैं साथ?

जानकारों की मानें तो ज्यादातर नेताओं को चुनाव में हाथ लगी मायूसी ही वापस किसी और दल में ठिकाना तलाशने को मजबूर कर देती है। ज्यादातर चुनाव लड़ने की ही ख्वाहिश से पाला बदलते हैं। ऐसा ही 2019 के लोकसभा चुनावों में नेताओं ने किया था। किसी और दल में बात बनती न देखकर उन्होंने कांग्रेस जॉइन की और उसके सिंबल पर चुनाव लड़ा। लेकिन चुनाव के वक्त उन्हें कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा हुआ और इसके बाद उन्होंने अपनी आगे की राजनीति के लिए कांग्रेस को एक पड़ाव मानकर इससे किनारा कर लिया।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com