जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: तीन पड़ोसी मुस्लिम देशों से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता में सहूलियत देने वाला कानून लोकसभा चुनाव से पहले ही लागू हो सकता है। सूत्रों कि माने तो नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के लिए नियमों का नोटिफिकेशन लोकसभा चुनावों के ऐलान से काफी पहले ही जारी कर दिए जाएंगे। स्वाभाविक है कि सीएए लागू हुआ तो यह लोकसभा चुनाव का भी बड़ा मुद्दा बनेगा। बीजेपी इसे अपने पक्ष में भुनाने का भरपूर प्रयास करेगी जबकि विपक्षी दल इसे मुस्लिम विरोधी कदम बताकर अल्पसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण करने की जुगत लगाएंगे।
सीएए के विरोध में सुलग गया था देश
कानून पारित होने के तुरंत बाद देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। मुसलमानों, सिविल सोसाइटी के तबके और कुछ संगठनों ने सीएए का यह कहकर विरोध किया कि इसमें मुसलमानों को बाहर रखा गया है। लंबे समय तक चले विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर कानून लागू करने के लिए सरकार ने नियम ही नहीं बनाए और इसके लिए बार-बार समय बढ़ाने का अनुरोध करती रही। सूत्रों ने बताया कि अब नियम तैयार हैं और ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है। सूत्रों ने कहा कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी आवेदन कर सकते हैं।
कभी भी नोटिफाई हो सकते हैं नियम
सूत्रों ने कहा, ‘हम आने वाले दिनों में सीएए के लिए नियम जारी करने जा रहे हैं। एक बार नियम जारी होने के बाद कानून लागू किया जा सकता है और जो पात्र हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की जा सकती है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या नियम लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले अधिसूचित किए जाएंगे, सूत्रों ने कहा, ‘सब कुछ तैयार है और हां, उन्हें चुनाव से पहले लागू किए जाने की संभावना है। आवेदकों को बिना यात्रा दस्तावेजों के भारत में प्रवेश करने का वर्ष घोषित करना होगा। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। 2014 के बाद आवेदन करने वाले आवेदकों के अनुरोधों को नए नियमों के अनुसार बदला जाएगा।’
शाह ने हाल ही में दिए थे संकेत
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल में पार्टी की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि भाजपा सीएए के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘दीदी (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) अक्सर सीएए के बारे में हमारे शरणार्थी भाइयों को गुमराह करती हैं। मैं स्पष्ट कर दूं कि सीएए देश का कानून है और इसे कोई नहीं रोक सकता। सभी को नागरिकता मिलेगी, यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है।
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सीएए को सुप्रीम कोर्ट में दी गई है चुनौती
कई याचिकाकर्ताओं ने सीएए को कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से सिर्फ हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देता है और इसमें म्यांमार के सताए गए रोहिंग्या, चीन के तिब्बती बौद्ध और श्रीलंका के तमिलों को शामिल नहीं किया गया है, जो कि अन्यायपूर्ण है।