जुबिली न्यूज डेस्क
केंद्र सरकार बहुचर्चित नागरिकता कानून के नियम तैयार कर रही है। गृहमंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी है। पिछले साल सरकार ने दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन बिधेयक को पास करा लिया था, जिसके अगले दिन 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर करके इसे अंतिम स्वीकृति दे दी थी।
हालांकि अभी तक नियम तैयार करने की प्रक्रिया पूरी न हो पाने से नागरिकता कानून अप्रभावी बना हुआ है। नियम तैयार होने के बाद इसकी अधिसूचना जारी हो जाएगी और देशभर में नागरिकता कानून लागू हो जाएगा। इसी बीच कानून को लेकर पूर्वोत्तर से एकबार फिर विरोध के स्वर उठने लगने लगे हैं जो सरकार की चिंता बढ़ा सकता है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल में कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम अगले साल जनवरी से लागू होने की संभावना है। केंद्र सरकार और भाजपा पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में शरणार्थी आबादी को नागरिकता देने की इच्छुक है। साथ ही अप्रत्याशित रूप से उन्होंने घोषणा की थी कि संभावना है कि अगले साल जनवरी से सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना शुरू हो जाएगा।
अगले साल पश्चिम बंगाल और असम के विधानसभा चुनाव हैं। इन दोनों राज्यों में शरणार्थियों को नागरिकता देने का मुद्दा अहम रहा है क्योंकि इन दोनों राज्यों की सीमाएं बांग्लादेश से मिलती हैं। ऐसे में विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इन चुनावों से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम को पूरी तरह लागू करा दिया जाएगा।
बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डी हों या राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, दोनों के बयानों से संकेत मिलने लगे हैं कि पार्टी बंगाल चुनाव में सीएए के सहारे वोटों के ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश करेगी।
असम में एनआरसी का मुद्दा फिर गरमा गया है। दरअसल, असम में पिछले साल राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर या एनआरसी की सूची प्रकाशित की गई थी। जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों को बाहर कर दिया गया, ये ऐसे लोग हैं जो अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए।
अब इस सूची को असम सरकार ने अंतिम सूची के बजाय सप्लीमेंट्री सूची बताया है। हाल में एक याचिका की सुनवाई के जवाब में असम सरकार ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय को जानकारी दी कि पिछले साल प्रकाशित हुई एनआरसी सूची, एक सप्लीमेंट्री लिस्ट थी और एनआरसी की अंतिम सूची आना बाकी है। स्टेट समन्वयक की ओर से अदालत को बताया गया कि 31 अगस्त 2019 को छपी सूची में दस हजार नाम फर्जी तरीके से हटा अथवा जोड़ दिए गए। अब इस सूची से 4800 से अधिक अयोग्य नामों हो हटाया जाएगा।
नार्थ ईस्टर्न स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसु) समेत कई संगठनों ने शुक्रवार को नागरिकता संशोधन कानून के संसद से पास होने की वर्षगांठ को काला दिवस के रूप में मनाया। नार्थ ईस्टर्न स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन में पूर्वोत्तर के सात राज्यों के आठ छात्र संगठन शामिल हैं। सीएए के खिलाफ पिछले साल शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पूर्वोत्तर के पांच छात्रों की मौत हो गई थी।
क्या है नागरिकता कानून?
संशोधित नागरिकता कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आए हैं।
सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग में मुस्लिम महिलाओं के नेतृत्व में आंदोलन शुरू हुआ जो पूरे विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बन गया। जामिया हिंसा, अलीगढ़ विश्वविद्यालय हिंसा और दिल्ली दंगे भी इसी कड़ी की घटनाएं हैं।