न्यूज़ डेस्क
लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार संसद सत्र के दौरान कई अहम फैसले ले रही है जो शीधे तौर पर आम जनता को फायदा पहुंचा सकती है। तीन तलाक बिल को लागू करके केंद्र सरकार ने ये साबित भी कर दिया है। इसके अलावा मोदी सरकार अपने बजट सत्र में केन्द्रीय क्रमचारियों को वेतन वृद्धि का तोहफा दे सकती है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिश से परे केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी पर लंबे समय से सरकार के सामने अपनी मांग रखी हुई है।
दुसरे कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार का पहला बजट पांच जुलाई को केंद्रीय वितमंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। इस बजट से आमजन को काफी उम्मीदें है जिसपर निर्मला सीतारमण की भी निगाहे होंगी की वो आम जन को किस तरह का बजट देकर खुस रख सकती है। इसके अलावा भारत की अर्थव्यवस्था में भी पिछले पांच सालों में कम वृधि दर्ज की गयी है जो की 2018-19 में 6.8 प्रतिशत है इसके अलावा, जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में की गयी कटौती को भी कम बजट के बावजूद एक स्वस्थ बजट के संकेत के रूप में भी देखा जा सकता है।
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क्या हैं 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें
इसलिए अगर सरकार वास्तव में मांग के हिसाब से स्पाइक के लिए बाजार में ज्यादा पैसा पहुंचाना चाहती है तो कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन वृद्धि की भी उम्मीद की जा सकती है। मीडिया रिपोर्टें के मुताबिक नए वित्त मंत्री को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों और केंद्रीय कर्मचारियों की मांगों के बारे में जानकारी दी गई थी। इसलिए यह उम्मीद की जा सकती है कि केंद्रीय मंत्री निश्चित रूप से कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पर विचार कर सकती है।
3.68 गुना बढ़ सकता है फिटमेंट फैक्टर
लम्बे समय से केंद्रीय कर्मचारी अपने वर्तमान मूल वेतन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। अभी केंद्रीय कर्मचारियों को वर्तमान में 18,000 रुपये न्यूनतम वेतन मिल रहा है, लेकिन कर्मचारी इसको आठ हज़ार रुपए की वृद्धि की मांग कर रहे है। कर्मचारी चाहते हैं कि केंद्र 26,000 रुपये के संशोधित वेतन पाने के लिए फिटमेंट फैक्टर को 3.68 गुना बढ़ाए।