आशीष अवस्थी
योगी आदित्यनाथ सरकार बनते ही सबसे पहले ब्राह्मण समाज की हिस्सेदारी में कटौती हुई जिसको लेकर भाजपा के अंदर ब्राह्मण नेताओं की नाराजगी जगजाहिर हो गयी थी। हालांकि भाजपा के सूत्र बताते हैं कि इन सारे मामलों को सुलझाने के लिए दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था लेकिन यह कारगर साबित नहीं हुआ। नौकरशाही और प्रशासन में दिनेश शर्मा जैसे सुलझे नेता को फिर से लखनऊ के मेयर की हैसियत में ला दिया है।
प्रशासनिक अमले में भी ब्राह्मण सूबे में लगातार हिकारत भरी नजरों का शिकार हुआ था हालांकि पूरे सूबे में एक समय ब्राह्मण समाज की नौकरशाही में तूती बोलती थी।
सिर्फ इतना ही नहीं प्रदेश में लगातार ब्राम्हण जाति की हत्याएं हो रहीं हैं। मैनपुरी से प्रयागराज तक लगातार ब्राह्मणों का उत्पीड़न जारी है। रोजाना हत्याएं हो रहीं हैं।
ब्राह्मणों की उम्मीद फिर से कांग्रेस….
कांग्रेस पार्टी के ब्राह्मण चेहरा के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद लगातार ब्राह्मण पीड़ित ब्राह्मण परिवारों से मिल रहे हैं। उन्होंने अपने इस अभियान का नाम भी ब्राह्मण चेतना यात्रा दिया है। वे झांसी, मैनपुरी, बस्ती समेत पूरे सूबे में ब्राह्मण परिवारों के घर जाकर मुलाकात करने का अभियान लिए हुए हैं।
कांग्रेस महासचिव ने भी मैनपुरी कांड में बहुत सक्रियता दिखाई। प्रियंका गांधी के पत्र लिखने के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार हरकत में आई और पुलिस अमले पर कार्रवाई हुई।
उपचुनाव के बाद बदला है ब्राह्मणों का रुझान
उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव में ब्राह्मणों को कांग्रेस पार्टी ने काफी तवज्जो दी। उत्तर प्रदेश के 11 सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा है।11 सीटों में 3 सीटें आरक्षित थी। 8 सीटों में तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने ब्राह्मण चेहरा उतारा था। राजनीतिक विश्लेषक इसे प्रियंका गांधी का इफेक्ट बताते हैं। उपचुनाव में प्रियंका गांधी का प्रभाव साफ साफ दिखा, 6.25 फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस का वोट प्रतिशत सीधे सीधे दोगुना हो गया। जमीनी हकीकत यह है कि ब्राह्मणों का एक बड़ा तबका कांग्रेस पार्टी के प्रति फिर से जुड़ाव महसूस कर रहा है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार है , ये उनके निजी विचार हैं)