न्यूज डेस्क
यस बैंक की शुरुआत करीब 15 साल पहले हुई थी। इसकी स्थापना 2004 में राणा कपूर और अशोक कपूर ने की थी। यस बैंक देश के प्राइवेट सेक्टर का चौथा सबसे बड़ा बैंक हैं लेकिन मौजूदा दौर में यस बैंक की आर्थिक हालत ठीक नहीं हैं। इसको लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक पर पाबंदी लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है।
यही नहीं बैंक के जमाकर्ताओं के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा भी तय कर दी है। इसके अलावा बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति कर दी गई है। खास बात ये है कि देश के जाने माने बैंक की हालत ऐसे कैसे हो गई। आइये जानते हैं।
क्यों हुई यस बैंक की ये हालत?
पिछले कुछ सालों में यस बैंक को एक के बाद एक कई झटके लगे। इसमें सबसे बड़ा झटका रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से दिया गया। साल 2018 में आरबीआई को ऐसा लगा कि यस बैंक अपने एनपीए और बैलेंसशीट में कुछ गड़बड़ी कर रहा है।
इसके बाद आरबीआई ने यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को पद से जबरन हटा दिया। बैंक के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था जब किसी चेयरमैन को इस तरह से पद से हटाया गया।
इतने हजार करोड़ डॉलर की है देनदारी
यस बैंक पर कुल 24 हजार करोड़ डॉलर की देनदारी है। बैंक के पास करीब 40 अरब डॉलर (2.85 लाख करोड़ रुपए) की बैलेंस शीट है। सरकार इस बैंक को डूबने से बचाना चाहती है। यस बैंक को अपने कैपिटल बेस बढ़ाने के लिए दो अरब डॉलर चुकाने होंगे।
बैंक ने इसके लिए अपना रेजोल्यूशन प्लान घरेलू लेंडर्स SBI, HDFC, एक्सिस बैंक और LIC को भी सौंपा था, लेकिन उनके प्लान पर लेंडर्स में सहमति नहीं बनी।
अगस्त 2018 में यस बैंक का जो शेयर 400 रुपये से अधिक के भाव पर बिक रहा था वो लुढ़क कर 30 रुपये से भी नीचे आ गया है। वहीं सितंबर 2018 में यस बैंक का मार्केट कैप करीब 80 हजार करोड़ रुपये था, जो अब 9 हजार करोड़ के स्तर पर आ गया है। इस हिसाब से बैंक के मार्केट कैप में 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमी आई है।
क्यूआईपी के मोर्चे पर भी झटका
यही नहीं यस बैंक को क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के मोर्चे पर भी झटका लगा। जाहिर है कि क्यूआईपी के जरिए बैंक का जो फंड जुटाने का लक्ष्य रखा गया था वो पूरा नहीं हो सका। बैंक ने क्यूआईपी के जरिए 1,930 करोड़ रुपये जुटाए थे। गौरतलब है कि क्यूआईपी, कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक प्रकार का जरिया होता है।
एसबीआई और एलआईसी की होगी हिस्सेदारी
बीते दिन खबर आई कि यस बैंक की 49 फीसदी हिस्सेदारी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पास जाएगी। बताया गया कि इस हिस्सेदारी के लिए एसबीआई और एलआईसी को 490 करोड़ रुपये निवेश करेगी।
निफ्टी 50 से बाहर होगा यस बैंक
इसी महीने 27 मार्च को यस बैंक नेशनल शेयर बाजार (एनएसई) के प्रमुख इंडेक्स ‘निफ्टी 50’ से बाहर हो जाएगा। दरअसल इस सूची में टॉप 50 परफॉर्मर कंपनियां ही होती हैं। अकसर इस सूची में बदलाव होता रहता है। इसमें हमेशा वही कंपनियां शामिल हो सकती हैं जिनके परफॉर्मेंस और मार्केट कैप में सुधार होता है।