Sunday - 3 November 2024 - 6:24 AM

आखिर क्यों हुई यूपी पुलिस की फजीहत !

न्यूज डेस्क

अभी कल ही यूपी पुलिस के मुखिया बता रहे थे कि पुलिस का व्यवहार भी सुधरा है और कार्य प्रणाली भी बदली है । और आज सुप्रीम कोर्ट ने उनके दावे की हवा निकाल दी।

एक के बाद एक रेप और हत्या के मामलो से ध्वस्त कानून व्यवस्था के चलते योगी सरकार वैसे ही विपक्ष के निशाने पर है और आज सुप्रीम कोर्ट की फटकार से रही-सही कसर पूरी कर दी। जितनी तत्परता यूपी पुलिस ने पत्रकार प्रशांत कनौैजिया को गिरफ्तार करने में दिखायी उतनी अपराधियों को करने में दिखाती तो प्रदेश में अराजकता का माहौल न होता।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी पर आदेश दिया है कि यूपी सरकार प्रशांत कनौजिया को तुरंत रिहा करे।

रिहाई के आदेश के बाद प्रशांत कनौजिया के वकील ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोर्ट ने गिरफ्तारी को बिल्कुल गलत ठहराया है।

वकील ने बताया कि कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर कहा कि उसने गलत किया या सही इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं। इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा, ‘ट्वीट क्या है, इससे मतलब नहीं है, किस प्रावधान के तहत गिरफ्तारी हुई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, हमने रिकॉर्ड देखा है, एक नागरिक के स्वतंत्रता के अधिकार में दखल दिया गया है। राय भिन्न हो सकती है’। वहीं यूपी सरकार ने याचिका का विरोध किया और कहा कि गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था। ट्वीट बहुत अपमानजनक था।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील से पूछा कि इस तरह की सामग्री पब्लिश नहीं होनी चाहिए लेकिन गिरफ्तार क्यों किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि किन धाराओं के तहत गिरफ्तारी हुई?” कोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करना सही नही था लेकिन इसको लेकर गिरफ्तारी?

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा, आप इस मामले को लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। यूपी सरकार की ओर एएसजी विक्रमजीत बनर्जी ने कहा, ये ट्विट बेहद अपमानजनक थे, हमने आईपीसी 505 भी लगाई है। कोर्ट ने आगे सवाल किया कि इसमें शरारत क्या है? आमतौर पर हम इस तरह की याचिका पर सुनवाई नहीं करते, लेकिन इस तरह किसी व्यक्ति को 11 दिनों तक जेल में नहीं रख सकते। ये केस हत्या का नहीं है।’

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इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा, प्रशांत को तुंरत रिहा किया जाना चाहिए। यूपी सरकार ने इस पर कहा, मजिस्ट्रेट ने रिमांड में भेजा है। इस तरह छोड़ा नहीं जा सकता। कोर्ट ने कहा, हम ऐसे बातों को पंसद नहीं करते लेकिन सवाल है कि क्या उसे सलाखों के पीछे रखा रखा जाना चाहिए। हम कार्रवाई को न तो रद्द कर रहे हैं ना ही स्टे कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर पत्रकार की गिरफ्तारी का विरोध

कनौजिया को सोशल मीडिया पर लोगों का और सोमवार को बसपा प्रमुख मायावती का भी साथ मिला था। माया ने ट्वीट कर कहा कि एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया इस मामले में सरकार की आलोचना कर रहा है लेकिन इससे बीजेपी सरकार को कोई फर्क पडऩे वाला नहीं है।

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सोशल मीडिया पर सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ टिप्पणी को लेकर गिरफ्तारियों का दौर जारी है। इसकी शुरुआत पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी से हुई। अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। प्रशांत की गिरफ्तारी का कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं। इस कड़ी में बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने भी बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था।

क्या था मामला

प्रशांत कनौजिया ने ट्विटर और फेसबुक पर एक वीडियो साझा किया था जिसमें एक महिला मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर विभिन्न मीडिया संगठनों के संवाददाताओं के समक्ष यह दावा करती दिख रही है कि उसने आदित्यनाथ को शादी का प्रस्ताव भेजा है।

लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में सात जून की रात को एक उपनिरीक्षक ने कनौजिया के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की जिसमें आरोप लगाया कि आरोपी ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और उनकी छवि खराब करने की कोशिश की।

यूपी पुलिस ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 500 और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66 के तहत केस दर्ज किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कनौजिया ने अपने ट्विटर सोशल मीडिया से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी और मुख्यमंत्री की छवि खराब करने की कोशिश की।

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