न्यूज डेस्क
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने बीते दिनों जय श्रीराम को लेकर एक टिप्पणी की थी। उनकी टिप्पणी बहुतों को रास नहीं आयी थी। उनकी टिप्पणी पर कई लोगों ने आलोचना की थी। आलोचना करने वालों में मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय भी शामिल है।
मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने कहा कि अमर्त्य सेन ने अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार जीता है और उन्हें अपने विषय पर ध्यान देना चाहिए।
अमर्त्य सेन की हालिया टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर रॉय ने कहा, ‘रामराजा तला और सेरामपोर पश्चिम बंगाल में हैं या कहीं और? क्या हम भूत-प्रेत से डरते हुए राम-राम नहीं कहते? उन्होंने अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीता, उन्हें अपने विषय पर ध्यान देना चाहिए।’
गौरतलब है कि 5 जुलाई को अमर्त्य सेन ने कहा था, ‘जय श्री राम के नारे का इस्तेमाल आजकल पूरे देश में लोगों को पीटने के लिए किया जा रहा है और इसका बंगाली संस्कृति से कोई संबंध नहीं है।’
सेन ने जादवपुर विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि ‘मां दुर्गा’ के विपरीत, ‘जय श्री राम’ का नारा बंगाली संस्कृति से जुड़ा नहीं है और इसे लोगों को पीटने के बहाने के रूप में प्रयोग किया जाता है।
अर्थशास्त्री ने यह भी कहा था कि उन्होंने कभी पश्चिम बंगाल में राम नवमी मनाए जाने के बारे में नहीं सुना है। उन्होंने कहा कि इसे अब लोकप्रियता मिली है।
अमर्त्य सेन की इस टिप्पणी के बाद 6 जुलाई को पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने अमर्त्य सेन पर उनकी टिप्पणी के लिए निशाना साधते हुए कहा था कि विदेश में रहने के कारण वह जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं।
घोष ने बुद्धिजीवियों के एक वर्ग पर नारे लगाने के लिए पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर आंख मूंद लेने का भी आरोप लगाया। घोष ने कहा, ‘वह (सेन) विदेश में रहते हैं, वह जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं। सभी के लिए अच्छा होगा कि वह विदेश में ही रहे।’
वहीं, आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो ने ‘जय श्री राम’ की टिप्पणी के लिए अमर्त्य सेन की उम्र पर हमला किया था।
It’s Sir’s @amartya Sen) age speaking not his mind or else he wud hv understood that, in Bengal ‘JaiShreeRam’ is more a Symbolic Phrase of Protest than it is abt religion! #JaiShreeRam is surely not used “to beat people up” rather it’s 2 stand up against those who torture #TMchhi pic.twitter.com/bjPbv3WjGj
— Babul Supriyo (@SuPriyoBabul) July 6, 2019
उन्होंने कहा था, ‘यह सर अमर्त्य सेन की उम्र है जो बोल रही है ना कि उनका दिमाग वरना उन्हें समझ में आता कि पश्चिम बंगाल में ‘जय श्री राम’ का नारा किसी धर्म से जुड़े होने के बजाय विरोध का प्रतीक है। निश्चित तौर पर ‘जय श्री राम’ लोगों को पीटने के लिए नहीं बल्कि प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ खड़े होने के लिए है।’