न्यूज डेस्क
एक अभिनेता और ऑपेरा सिंगर की बेटी ग्रेटा थुनबर्ग अटलांटिक पार कर बीते 28 अगस्त को जब न्यूयार्क पहुंची थीं तो उनसे पूछा गया कि वो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रप के कोई संदेश देना चाहेंगी? जवाब में थुनबर्ग ने कहा था कि, “मेरा संदेश उनके लिए बस इतना है कि विज्ञान को सुनिए। जाहिर है वो ऐसा नहीं करते हैं, तो ऐसे में मेरे सामने यही सवाल होता है कि जब और कोई उन्हें जलवायु संकट, उसकी जरूरत के बारे में नहीं समझा पा रहा है तो मैं ऐसा कैसे कर पाउंगी? तो मेरा ध्यान सिर्फ जागरूकता फैलाने पर है। ”
स्वीडन की 16 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग मंगलवार को एक बार फिर सुर्खियों में रहीं। उन्होंने पर्यावरण पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया। थुनवर्ग ने पुरस्कार न लेने को लेकर कहा कि जलवायु आंदोलन के लिए विज्ञान के सुनने की जरूरत है न कि पुरस्कार लेने की।
गौरतलब है कि युवा पर्यावरण कार्यकर्ता के ‘फ्राइडेज फॉर फ्यूचर’ आंदोलन में लाखों लोग शामिल हुए थे। इसी को लेकर ही स्टॉकहोम में नार्डिक काउंसिल ने ग्रेटा को सम्मानित किया था। थुनबर्ग को स्वीडन और नॉर्वे में किए गए उनके कार्यों के लिए नामित किया गया था और संगठन द्वारा दिए जाने वाले वार्षिक पर्यावरण पुरस्कार को ग्रेटा को देने की घोषणा की थी।
जब पुरस्कार की घोषणा हुई तोग्रेटा थुनबर्ग की प्रतिनिधि ने दर्शकों से कहा कि वह पुरस्कार या उन्हें दिए जाने वाले 3,50,000 डेनिश क्रोनर (लगभग 36,83,000 रुपये) की पुरस्कार राशि को स्वीकार नहीं करेंगी।
फिलहाल ग्रेटा अभी अमेरिका में हैं। अपने इंस्टाग्राम पर उन्होंने लिखा कि पर्यावरण आंदोलन के लिए किसी भी पुरस्कार की जरूरत नहीं है। हमारे लिए जरूरत है कि आज के नेता और जो लोग सत्ता में हैं, वे विज्ञान को सुनें।
हालांकि,उन्होंने पुरस्कार के लिए नॉर्डिक काउंसिल को धन्यवाद भी दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि जलवायु और पर्यावरण के मुद्दों पर नॉर्डिक देशों की दुनियाभर में बड़ी प्रतिष्ठा है। लेकिन जब असल में कार्बन उत्सर्जन और इकोसिस्टम की बात आती है तो केवल डींगे ही हांके जाते हैं।
16 वर्षीय ग्रेटा थुनबर्ग यूरोप में तब मशहूर हुईं जब उन्होंने स्वीडन के आम चुनाव से कुछ हफ्ते पहले स्कूल जाना बंद कर दिया और जलवायु परिवर्तन के असर के बारे में प्रचार करने में जुट गईं। इतना ही नहीं ग्रेटा ने चुनाव के बाद भी हर शुक्रवार को स्कूल नहीं जाने का सिलसिला जारी रखा और फिर उनके साथ हजारों छात्रों ने इसे अपना लिया।
ग्रेटा इसके बाद अब तक पोप से मिली हैं, दावोस में भाषण दिया है और जर्मनी के कोयला विरोधी प्रदर्शनों में शामिल हुई हैं। अब उन्होंने अपने अभियान के लिए स्कूल से एक साल की छुट्टी ले ली है।
अगस्त माह में ग्रेटा चर्चा में आई थी जब वह कार्बन उत्सर्जन को बचाने के लिए विमान से न्यूयॉर्क जाने से मना कर दिया था। वह दो हफ्ते की कठिन यात्रा कर न्यूयार्क पहुंची थी। अटलांटिक पार की यात्रा में उनके पिता भी उनके साथ थे।
थुनबर्ग पर्यावरण के लिए काम करने वाले युवाओं के बीच एक बड़ा प्रतीक बन गई हैं। उन्होंने हर हफ्ते स्वीडन के स्कूल में पर्यावरण के लिए हड़ताल करने का अभियान शुरू किया जो अब दुनिया के 100 शहरों में फैल गया है।
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