Monday - 28 October 2024 - 10:36 AM

क्यों ऐसी घटनाएं हो जाती हैं मंत्री जी !

न्यूज डेस्क

7 जून- अलीगढ़ के टप्पल में ढ़ाई साल की मासूम ट्विंकल की हत्या

8 जून- हमीरपुर में 11 साल की बच्ची और मेरठ में 9 साल की बच्ची की हत्या

9 जून- कुशीनगर में 13 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप और जालौन में सात साल की बच्ची की हत्या

10 जून- लखनऊ के वीवीआईपी क्षेत्र से 14 साल की बच्ची गायब

ये सिर्फ उत्तर प्रदेश की चार दिन की वो घटनाएं है जिन पर आवाज उठायी गई और अखबार की सुर्खिया बनी। ढ़ाई साल की मासूम ट्विंकल का मामला सामने न आता तो शायद ये भी घटनाएं अखबार की सुर्खिया न बनती। इन सभी घटनाओं में हैवानियत की हद पार की गई। मासूम बच्चियों के साथ रेप, गैंगरेप जैसा जघन्य अपराध करके हत्या कर दी गई।

ऐसी घटनाएं हर दिन कहीं न कहीं होती है, लेकिन ऐसी घटनाओं के प्रति न पुलिस संजीदा है और न ही सरकार। तभी तो ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कहते हैं कि ऐसी घटनाएं हो जाती है।

यदि ऐसी वीभत्स घटनाओं पर योगी सरकार के मंत्री इतने संजीदा है तो न्याय की उम्मीद करना बेमानी है। ऐसी घटनाएं पुलिस-प्रशासन की लापरवाही की पोल खोलती है। पुलिस कितनी संजीदा है इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि मां-बाप पुलिस की देहरी पर बेटी के गायब होने की शिकायत दर्ज कराने जाते है तो उनकी समस्या सुनने के बजाए उन्हें खुद ही ढूढ़ने को कहकर भगा दिया जाता है।

ट्विंकल और कुशीनगर मामले में ऐसा ही हुआ था। कुशीनगर मामले में बेटी के साथ गैंगरेन की घटना के बाद जब बच्ची की मां एफआईआर दर्ज कराने गई तो अहरौली बाजार थाने के एसएचओ ने उसे भगा दिया और बेटी का इलाज कराने की नसीहत दी।

योगी सरकार के मंत्री नहीं है संजीदा

निर्भया कांड के बाद एक उम्मीद जगी थी कि देश में लड़कियों के लिए एक अच्छा वातावरण बनाया जायेगा। ऐसी घटना से सरकार, पुलिस-प्रशासन सबक लेगी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। सरकार अपना वोट बैंक दुरुस्त करने में लगी रहती है और पुलिस…। अलीगढ़ के टप्पल में ढ़ाई साल की मासूम ट्विंकल के साथ वर्वरता की हद पार कर दी गई। इतने संवेदनशील मामले पर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही कहते हैं-

कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही

देखिये, ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्ती से हम कार्रवाई करते हैं और यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में अपराध की संख्या काफी घटी है। और जहां कहीं भी छिटपुट घटनाएं हुई हैं उनको कठोर दंड दिया जाता है। उस मानसिकता के लोग जिन्होंने ऐसा किया है। ये गंदी मानसिकता का दुष्परिणाम है। अब सख्ती भी की जा रही है, और इसके बारे में जागरूकता भी फैलाई जा रही है।

 

वहीं योगी सरकार के ही दूसरे मंत्री उपेन्द्र तिवारी ने कहा-

मंत्री उपेन्द्र तिवारी

हर रेप का अलग नेचर (प्रकार) होता है। उपेंद्र तिवारी ने कहा कि कई बार 7-8 साल रिश्ते में रहने के बाद भी महिलाएं रेप का आरोप लगा देती हैं, ऐसा है तो सवाल तो उठेगा ही कि 7 साल पहले क्यों नहीं कहा। अब जैसे कोई नाबालिग लड़की है, उसके साथ रेप हुआ है तो उसको तो हम रेप मानेंगे, लेकिन कहीं-कहीं यह भी सुनने में आता है कि विवाहित महिला है, उम्र 30-35 साल है। कई बार 7-8 साल से प्रेम संबंध चल रहा है, मगर आरोप लगाते हैं कि मेरे साथ रेप हुआ है। तो यह आम सवाल होता है कि 7 साल पहले इस बारे में सोचना चाहिए था। तो अलग-अलग नेचर होता है रेप का।’

आखिर ऐसी घटनाएं होती ही क्यों हैं?

मंत्रियों के इस बयान से कई सवाल उठने लगा है कि आखिर ऐसी घटनाएं होती ही क्यों है? आखिर कानून का भय लोगों में क्यों नहीं है? अपराधियों के हौसले क्यों बुलंद है? सरकार इस दिशा में क्यों काम नहीं करती? ऐसे अनेक सवाल लोगों के जेहन में है।

समाजशास्त्र की प्रवक्ता डा. निरूपमा कहती हैं-ऐसी घटनाओं के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। हर रोज लड़किया, महिलाएं छेडख़ानी, छीटाकशी जैसी घटनाओं से दो-चार होती है लेकिन वो विरोध दर्ज नहीं कराती।

बहुत कम मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं। पुलिस के पास न जाने का एक कारण यह भी है कि पुलिस ऐसे मामलों में गंभीरता भी नहीं दिखाती। एफआईआर दर्ज कराने के लिए दस बार थाने का चक्कर लगाना पड़ता है। सरकार को इस दिशा में सख्ती करने की जरूरत है।

मनोचिकित्सक प्रो. एस.के. तिवारी कहते हैं कि- हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन सबके बारे में जाने जो हमारे आस-पास रहते हैं। बच्चियों के साथ जो लोग जघन्य अपराध कर रहे हैं दरअसल ऐसे लोग सामान्य मन:स्थिति वाले लोग नहीं होते। ऐसे लोगों के अतीत को यदि खंगाला जाए तो बलात्कार और हत्या जैसे मामलों में इनकी लिप्तता पहले भी पाई जा सकती है।ऐसे लोग आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं और इनके भीतर वहशीपन होता है। ऐसे लोग बलात्कार के वक्त अगर मदिरा का सेवन करते हैं तो उनके भीतर बर्बरता की प्रवृत्ति और बढ़ जाती है।

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