प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली. किसानों के मुद्दे पर नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश के बाद केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा सरकार को बैक फुट पर ले आया. हालांकि उसने राज्यसभा में भी यह बिल पास करवा लिया लेकिन विपक्ष ने आज जिस तरह से सरकार को घेरा और नारेबाजी व हंगामा किया कि उसके बाद मोदी सरकार के छह वरिष्ठ मंत्रियों को एक साथ प्रेस कांफ्रेंस करते हुए अपनी सफाई देनी पड़ी.
राज्यसभा में कृषि बिल पास होने के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार के छह मंत्री एक साथ प्रेस से मुखातिब हुए. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सदन की कार्यवाही चलाने के लिए सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष की भी ज़िम्मेदारी होती है. लेकिन विपक्ष ने आज जो किया वह शर्मनाक है और स्वस्थ लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि यह अध्यादेश पास होने के बाद किसानों का फायदा होगा लेकिन किसानों को भ्रमित किया जा रहा है कि इसके लागू होने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जायेगा. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कही थी लेकिन इस अध्यादेश के ज़रिये हम उससे भी आगे जाने चाहते हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हरबंश जी देश के जानेमाने पत्रकार रहे हैं, वह राज्यसभा के उपसभापति हैं. उनके आसन तक सदस्यों का चले जाना, वहां रखे कागज़ फाड़ देना भारत के संसदीय इतिहास में कभी नहीं हुआ. भ्रामक तथ्यों के आधार पर किसानों को बरगलाया गया है.
उन्होंने कहा कि मैं भी किसान हूँ. जो हुआ वह संसदीय गरिमा के अनुकूल नहीं हुआ. लोकतंत्र की पर्म्पारों को आज शर्मसार भी किया गया और तार-तार भी किया गया. सांसदों के द्वारा सभापति के साथ ऐसा व्यवहार निंदनीय है. इस काम से संसदीय गरिमा को गहरी चोट पहुँची है.
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संवाददाता सम्मेलन में राजनाथ सिंह से जब यह पूछा गया कि जब केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को नहीं सुना गया तो फिर विपक्ष को कैसे सुना जाएगा. उन्होंने कहा कि साढ़े नौ वाजे से तीन बजे तक लगातार विचार विमर्श किया गया. सबकी बात सुनी गई लेकिन क्या विपक्ष को उप सभापति की टेबिल पर चढ़ जाना चाहिए. क्या उनके साथ दुर्व्यवहार करना चाहिए. राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी सूरत में एमएसपी खत्म नहीं होगी, किसान आश्वस्त रहें.
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सदस्यों ने राज्यसभा के माइक तोड़ दिए वह पूरी तरह से हंगामे पर उतारू थे.
प्रेस कांफ्रेंस में राजनाथ सिंह के अलावा प्रकाश जावड़ेकर, प्रहलाद जोशी, थावर चंद गहलोत और पियूष गोयल भी मौजूद थे.