पॉलिटिकल डेस्क।
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने में बस दो दिन का समय शेष बचा है। 23 मई को फैसला सामने होगा कि देश की जनता ने किसे जनादेश दिया और किसे नकार दिया। हालांकि एग्जिट पोल की माने तो एकबार फिर मोदी सरकार बनती दिख रही है। विपक्षी दल भी एकजुट होकर आगे की रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
इसी सब के बीच ईवीएम का मुद्दा भी गरमाने लगा है। मंगलवार को देश की राजधानी दिल्ली में विपक्षी दलों के बीच बैठक हुई और ईवीएम से जुड़े मुद्दे पर चर्चा की गई।
इस बैठक में कांग्रेस से अहमद पटेल, अशोक गहलोत, गुलाम नबी आजाद और अभिषेक मनु सिंघवी, माकपा से सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस से डेरेक ओब्रायन, तेदेपा से चंद्रबाबू नायडू, आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल, सपा से रामगोपाल यादव, बसपा से सतीश चंद्र मिश्रा एवं दानिश अली, द्रमुक से कनिमोई, राजद से मनोज झा, राकांपा से प्रफुल्ल पटेल एवं माजिद मेमन और कई अन्य पार्टियों के नेता शामिल हुए।
बैठक के बाद टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया। इस ज्ञापन के जरिए विपक्षी दलों ने वोटों की गिनती से पहले सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती कर ईवीएम के आकड़ों से मिलान की मांग की है।
चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि विपक्षी दलों ने मतों की गिनती से पहले ईवीएम को कहीं और ले जाने पर चिंता व्यक्त की है।
वहीं सपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर ईवीएम से जुड़ी गड़बड़ियां हुई हैं। हम केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग करते हैं।
इसके आलावा एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि, जब ईवीएम मशीन सही है, तो फिर वीवीपैट के ईवीएम से सौ फ़ीसद मिलान से घबराना क्यों?
चुनाव आयोग को चाहिए कि वह वीवीपैट का ईवीएम से सौ फ़ीसद मिलान करके विपक्षी दलों की सभी शिकायतों को दूर कर दे।
गौरतलब है कि इससे पहले भी इस तरह की मांग की गई थी, जिस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केन्द्रों में ईवीएम आकड़ों और वीवीपैट के मिलान को कहा था। आयोग का कहना है कि ऐसा करने पर चुनाव परिणाम आने में देरी हो सकती है।
चुनाव आयोग ने मंगलवार को ही बयान जारी कर कहा है कि स्ट्रांगरूम्स में ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं।