पॉलिटिकल डेस्क।
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के नेता आपस में ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान समेत कई राज्यों में कांग्रेस के अन्दर अंतर्कलह शुरु हो गई है। एक ओर जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी वरिष्ठ नेताओं से नाराज हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी के नेताओं में गुटबाजी देखने को मिल रही है।
कांग्रेस पार्टी के बागी नेताओं के सुर और तेज होने के पीछे का कारण गांधी परिवार का खुद को पार्टी से अलग कर लेना हो सकता है। दरअसल इससे पहले भी जब-जब गांधी परिवार ने कांग्रेस से दूरी बनानी चाही तो कांग्रेस में गुटबाजी हुई है।
भले ही विपक्ष कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार के वर्चस्व को लेकर सवाल उठाता रहे लेकिन सच तो यह है कि जब भी कांग्रेस का नेतृत्व किसी और के हाथ में गया है तो पार्टी का पतन ही हुआ है।
एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने बताया कि, गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस कभी भी आगे ही नहीं बढ़ सकती। उन्होंने बताया कि कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के हाथ में रहती है तो सभी नेतृत्व का सम्मान करते हैं। जबकि किसी अन्य शख्स को कमान देने पर पार्टी के नेताओं में गुटबाजी शुरू हो जाती है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में पार्टी के नेताओं द्वारा जो बयानबाजी की गई है वह कहीं ना कहीं कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल के इस्तीफे की प्रतिक्रिया है। बकौल कांग्रेस नेता, पार्टी में वरिष्ठ नेताओं और युवा नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई की ये शुरुआत है।
गहलोत और पायलट के बीच मनमुटाव आया सामने
कई राज्यों में कांग्रेस के अंदर बगावत के सुर फूट रहे हैं। अभी तक कई विधायकों और नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने अपने बेटे वैभव गहलोत की हार के लिए सचिन पायलट को जिम्मेदार बताया तो वहीं टोडाभीम से कांग्रेस विधायक बी आर मीणा ने कहा की सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री होना चाहिए था और युवा चेहरे को दरकिनार करने की वजह से ही लोकसभा चुनाव में पार्टी को जनसमर्थन नहीं हासिल हुआ।
उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है और इसके लिए सचिन पायलट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अब सूबे के कांग्रेस नेताओं में मुख्यमंत्री गहलोत के लिए असंतोष सामने आ रहा है और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच भी सब ठीक नहीं
मध्य प्रदेश में गुना सीट से हार का स्वाद चख चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कहा कि मुख्यमंत्री ठीक से प्रदर्शन नहीं कर पाए।
उनका निशाना जाहिर तौर पर सीएम कमलनाथ की ओर था जो अपने बेटे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से जिताने में लगे रहे। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में भी सालों से मुख्यमंत्री पद का सपना देख रहे कई वरिष्ठ नेता पार्टी के प्रदर्शन पर चुप्पी साधे हुए हैं।
महाराष्ट्र के एक विधायक ने दिया इस्तीफा
महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व से नाराज होकर विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि अपने बेटे तक के लिए भी प्रचार नहीं किया है। उन्हें पार्टी आलाकमान से कोई शिकायत नहीं है, जिसने मुझे विपक्ष का नेता बनने का मौका दिया है।
पाटिल ने कहा, ‘मैंने अच्छा काम करने की कोशिश की है। लेकिन हालात ने मुझे इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया है’। इसके बाद वीखे ने महाराष्ट्र के सीएम से भी मुलाकात की है। कांग्रेस से निष्कासित एक और विधायक अब्दुल सत्तार ने कहा है कि 8 से 10 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं जो कांग्रेस नेतृत्व से नाराज हैं। राज्य का नेतृत्व पार्टी को बर्बाद कर रहा है।
अल्पेश ठाकोर ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ा
गुजरात में भी पार्टी संकट में आ सकती है। 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर राधनपुर सीट से निर्वाचित अल्पेश ठाकोर भी इस्तीफा दे चुके हैं। उनका दावा है कि राज्य में कांग्रेस के 15 से ज्यादा विधायक पार्टी छोड़ने वाले हैं। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस से हर कोई नाराज और असंतुष्ट हैं।