न्यूज डेस्क
मॉब लिंचिंग पर देश में बहस तो खूब हो रही है लेकिन उसका कोई स्थायी समाधान ढ़ूढने का प्रयास नहीं हो रहा है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है लेकिन ये घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। फिलहाल एक बार फिर मॉब लिंचिंग पर जुबानी संग्राम छिड़ा हुआ है।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा। इन दोनों नेताओं ने मॉब लिंचिंग को लेकर ही भागवत पर निशाना साधा है।
वरिष्ठï कांग्रेसी नेता दिग्विजय ने कहा कि मोहन भागवत जी एकजुटता का संदेश देकर उसका पालन करने लगेंगे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का रास्ता अपना लेंगे उस दिन देश की भीड़ हत्या एवं नफरत जैसी सारी समस्या समाप्त हो जाएगी।
वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भीड़ हत्या के पीड़ित भारतीय ही हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भागवत भीड़ हत्या रोकने के लिए नहीं कह रहे हैं। वह कह रहे हैं कि इसे वो (लिंचिंग) मत कहो।
इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व प्रवक्ता आनंद शर्मा ने भी ट्वीट कर पूछा, ‘मेरा सर संघचालक मोहन भागवत जी से सीधा सवाल है- क्या वह और उनका संगठन घृणा और हिंसा का इस्तेमाल कर निर्दोष और असहाय लोगों की हत्या का अनुमोदन करते हैं या ऐसी घटनाओं की भर्त्सना करते हैं? देश जानना चाहता है कि आपको समस्या इन घटनाओं से है या सिर्फ शब्दावली से?’
क्या है मामला
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयदशमी कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ‘लिंचिंग’ शब्द को लेकर आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि देश में ऐसी कुछ घटनाएं देखने को मिलती है और हर तरफ से देखने को मिलती हैं। कई बार तो ऐसा भी होता है कि घटना होती नहीं है लेकिन उसे बनाने की कोशिश की जाती है।
भागवत ने कहा कि संघ का नाम भीड़ हिंसा की घटनाओं से जोड़ा गया, जबकि संघ के स्वयंसेवकों का ऐसी घटनाओं से कोई संबंध नहीं होता। भीड़ हिंसा जैसा शब्द भारत का है ही नहीं क्योंकि भारत में ऐसा कुछ होता ही नहीं था।
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