न्यूज डेस्क
नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड दिल्ली में अपना पाव पसारने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही है। फिलहाल जेडीयू भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर जेडीयू दिल्ली में दो सीटों पर चुनाव लडऩे जा रही है। इसके लिए जेडीयू ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट भी जारी कर दी है। इस सूची में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया है लेकिन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर का नाम गायब है।
स्टार प्रचारकों की सूची से प्रशांत किशोर का नाम न होना चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि दिसंबर 2019 में झारखंड में हुए चुनाव में जेडीयू के स्टार प्रचारकों की सूची में किशोर का नाम था।
सियासी गलियारे में चर्चा है कि जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने पीके को कहीं सीएए समर्थन और अरविंद केजरीवाल का सहयोगी होने की सजा जो नहीं दी है?
गौरतलब है कि जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर सीएए और एनसीआर को लेकर लगातार अपनी पार्टी से इतर बयान दे रहे हैं। सीएए के खिलाफ पीके ने मोर्चा खोल रखा है। जिन दिन संसद में नागरिकता संसोधन बिल पेश हुआ, उस दिन से वह झंडा बुलंद किए हुए हैं। उनके इस रवैये पर उनकी पार्टी ने विरोध भी जताया था, लेकिन वह शांत नहीं हुए। इतना ही नहीं उन्होंने इस्तीफे की भी पेशकर कर दी थी।
इसके अलावा एक बड़ा कारण और बताया जा रहा है। दरअसल प्रशांत जेडीयू में रहते हुए दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए काम भी कर रहे हैं। दिल्ली में आप का मुकाबला बीजेपी से है। हालांकि कई चुनावी सर्वें में अनुमान जताया जा चुका है कि दिल्ली में दोबारा केजरीवाल सत्तासीन होंगे।
जदयू के स्टार प्रचारकों की सूची में कौन
जनता दल यूनाइटेड के स्टार प्रचारकों की सूची में बिहार के मुख्यमंत्री व जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार, वरिष्ठ नेता केसी त्यागी, आरसीपी सिंह, ललन सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, अशोक चौधरी, रामनाथ ठाकुर, श्रवण कुमार, जयकुमार सिंह, संजय कुमार झा, अफाक अहमद खान, दयानंद राय, महाबली सिंह, महेश्वर हजारी, दिलेश्वर कामत, आरपी सिंह, सुनील कुमार पिंटू, चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, राज सिंह मान एवं कविता सिंह के नाम शामिल हैं।
फिलहाल इसे संयोग कहें या कुछ और, सीएए पर विरोध दर्ज करवाने वाले जदयू के दोनों नेता पवन वर्मा और प्रशांत किशोर का नाम दिल्ली चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची से गायब है। पवन वर्मा ने भी बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के उस बयान की तीखी आलोचना की थी, जिसमें मई से सितंबर के दौरान राज्य में एनपीआर लागू करने की घोषणी की गई थी।
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