न्यूज डेस्क
मई माह में लोकसभा चुनाव का परिणाम ने सबको चौका दिया था। बीजेपी को ऐतिहासिक जनादेश मिला था। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया गया। आज एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी की चर्चा हो रही है। हरियाणा और महाराष्ट्र में मतगणना हो रही है और हरियाणा में चुनावी परिणाम बीजेपी के पक्ष में आते नहीं दिख रहे। महाराष्ट्र में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन बहुमत से दूर है। यदि बीजेपी अपनी सहयोगी पार्टी शिवसेना की शर्तों पर राजी होती है तो महाराष्ट्र में सरकार बनाने में कामयाब हो जायेगी।
अब तक के परिणाम में दोनों राज्यों में बीजेपी बहुमत के आंकड़ों से दूर दिख रही है। सवाल यह उठता है कि दोनों राज्यों में सत्ता रहने वाली बीजेपी को जनता ने बहुमत से क्यों दूर रखा? आखिर इन राज्यों में मोदी का जादू क्यों नहीं चला?
बीजेपी मतलब मोदी, मोदी मतलब बीजेपी। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा। बीजेपी मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ती आ रही है। महाराष्ट्र और हरियाणा में भी बीजेपी ने चुनाव मोदी के चेहरे पर लड़ा और केन्द्र सरकार की योजनाओं को गिनाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ा, तो फिर चूक कहां हुई?
हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ‘अबकी बार 75 पार’ का नारा दिया था। प्रत्याशी भी चुन-चुनकर उतारे गए थे। फिर भी बीजेपी बहुमत से दूर हो गई। परिणाम से साफ है कि यहां की जनता पर मोदी का न तो जादू चला और न ही जनता को धारा 370, ट्रिपल तलाक, राम मंदिर और कॉमन सिविल कोड रास आई। तो क्या फिर आर्थिक मंदी और बेरोजगारी ने बीजेपी की जीत के रथ को रोक दिया।
हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम पर वरिष्ठï पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते है, चुनाव परिणाम से तो यहीं लग रहा है कि आर्थिक मंदी और लोगों की समस्याओं को दूर करने में बीजेपी नाकाम रही है। इन दोनों राज्यों में मृत कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया है तो साफ है कि जनता विकल्प चाहती है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दूबे कहते हैं- हरियाणा और महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री खट्टर और फणवीश की हार नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हार है। इन राज्यों में मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया। आज जब बहुमत से बीजेपी दूर होती दिख रही है तो जाहिर है यह हार मोदी की है। यहां की जनता ने मोदी के साथ उनके महत्वपूर्ण फैसलों को भी नकारा है। वह कहते हैं, घर का चूल्हा, राष्ट्रवाद, ट्रिपल तलाक और धारा 370 से नहीं बल्कि रोजगार और पैसे से जलता है। देश में आर्थिक मंदी और बेरोजगारी किस स्तर पर पहुंच गई है, इसे नकार कर आप चुनाव नहीं जीत सकते।
हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस ने सबको चौका दिया है। खासकर हरियाणा में। किसी को उम्मीद नहीं थी कि मृत कांग्रेस इतना शानदार प्रदर्शन करेगी वह भी बिना गांधी परिवार के। दरअसल यह जनता का कांग्रेस पर भरोसा है। जनता ने कांग्रेस पर भरोसा कर संदेश दिया है कि उनकी समस्याओं को दरकिनार किया जायेगा तो वह सत्ता में परिवर्तन कर सकती हैं।
हरियाणा में कांग्रेस की मजबूत दावेदारी पर वरिष्ठï पत्रकार रविन्द्र अरजरिया कहते हैं-हरियाणा में कांग्रेस को जो सफलता मिली है दरअसल वह कांग्रेस की मेहनत का नतीजा नहीं है बल्कि जनता का बीजेपी को जवाब है। जनता ने विकल्प तलाशा है। यदि जनता ने कांग्रेस पर विश्वास दिखाया है तो मतलब साफ है कि बीजेपी के काम से वहां की जनता खुश नहीं है।
वहीं इस मामले में वरिष्ठï पत्रकार राजीव ओझा कहते हैं-दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम चौकाने वाले हैं। जनता कब किसको चौका दें कहा नहीं जा सकता। लोकसभा चुनाव में जनता ने बीजेपी को सिरमौर बना लिया और विधानसभा चुनाव में सबक सिखा दिया। मैं तो पहले से कह रहा था कि मतदान प्रतिशत घटा है तो सरकार के लिए खतरे की घंटी है। परिणाम सबके सामने हैं।
महाराष्ट्र और हरियाणा में पूरा चुनाव परिणाम कुछ घंटों में आ जायेगा। अभी तक के परिणाम से साफ है कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा। सरकार किसकी बनेगी यह भी एक-दो दिन में पता चल जायेगा। ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि जोड़तोड़ में माहिर बीेजेपी सरकार बनायेगी। विपक्षी दल भी आरोप लगा रहे हैं कि हरियाणा में निर्दलीय प्रत्याशियों को साधने के लिए बीजेपीके दिग्गज जुट गए हैं। फिलहाल सरकार किसी की भी बने, लेकिन एक बात तो तय है कि जनता ने जनादेश नहीं दिया तो मतलब जनता ने उसे नकार दिया।
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