न्यूज डेस्क
16 वर्षीय ग्रेटा थुनबर्ग यूरोप में तब मशहूर हुईं जब उन्होंने स्वीडन के आम चुनाव से कुछ हफ्ते पहले स्कूल जाना बंद कर दिया और जलवायु परिवर्तन के असर के बारे में प्रचार करने में जुट गईं। इतना ही नहीं ग्रेटा ने चुनाव के बाद भी हर शुक्रवार को स्कूल नहीं जाने का सिलसिला जारी रखा और फिर उनके साथ हजारों छात्रों ने इसे अपना लिया। इसी कड़ी में 29 नवंबर को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर राजधानी दिल्ली समेत पूरे एशिया प्रशांत में विरोधी बिगुल फूंका गया।
इस वैश्विक विरोध का अगुआ जंगल की आग के धुएं में पूरी तरह ढका सिडनी रहा। ग्रेटा थनबर्ग के आह्वान पर एशिया प्रशांत के तमाम शहरों में सैकड़ों जलवायु कार्यकर्ता रूढि़वादी लिबरल पार्टियों के दफ्तरों के बाहर हाथों में तख्तियां लेकर पहुंचे।
ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा प्रदर्शन हुआ, जहां दक्षिण पूर्व में स्थित सिडनी पिछले कुछ हफ्तों में जंगल की आग के भयानक मंजर से गुजर रहा है। सूखा, भीषण गर्मी, शुष्क मौसम और तेज हवाओं के कारण यहां कुछ हफ्ते पहले जंगल की झाडिय़ों ने आग पकड़ ली थी जो लगातार भड़कती गई और भारी नुकसान हुआ।
दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी, दिल्ली में पर्यावरण मंत्रालय के बाहर 50 से अधिक स्कूल-कॉलेज के छात्रों ने विरोध में मार्च निकाला। इन लोगों ने सरकार से दिल्ली में जलवायु आपातकाल घोषित करने की मांग की।
वहीं सिडनी में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने इस मुसीबत से निजात दिलाने और सचेत होने वाले नारे लगाए। इन्होंने हाथों में तख्तियां ले रखीं थीं जिन पर लिखा था, ‘आप हमारे भविष्य को जला रहे हैं, कृपया ऐसा न करें’ और ‘हम इसके खिलाफ आगे बढ़ेंगे।’
युवाओं का कहना था कि हालात बहुत बिगड़ रहे हैं। अगर अब नहीं जागे तो बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा। इनका गुस्सा पीएम स्कॉट मॉरिसन के प्रति था जिन्होंने पीछे कहा था कि आग के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार नहीं है।
जापान की राजधानी टोक्यो में भी शुक्रवार को बड़ी तादाद में युवा जलवायु परिवर्तन के विरोध में सड़क पर उतरे। शिंजूकू जिले में सड़कें प्रदर्शनकारियों से पट गईं, ये लोग इस मुद्दे पर जनता को जागरूक कर रहे थे। युवाओं ने कहा, ग्रेटा की तरह हमें इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा और समझना होगा कि यह हमारे भविष्य के लिए है।
मेड्रिड में जुटेंगे 200 राष्ट्र
दरअसल जलवायु परिवर्तन पर अगले हफ्ते मेड्रिड में शुरू हो रहे यूएन के सम्मेलन में 200 राष्ट्र जुटेंगे। इस सम्मेलन में पेरिस जलवायु समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश की जाएगी। जलवायु कार्यकर्ता इस दौरान भी बड़ा विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं।
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