न्यूज डेस्क
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस अकील कुरैशी चर्चा में है। कुरैशी के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किए जाने में हो रही देरी का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। दरअसल केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की उस फाइल को वापस लौटा दिया है जिसमें जस्टिस कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी।
हालांकि सरकार ने संकेत दिया है कि वह जस्टिस अकील कुरैशी को किसी अन्य हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने के विरुद्ध नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के संबंध में भेजी गई फाइल को सरकार ने क्यों लौटा दिया, इसकी वजह नहीं बताई।
उच्चतम न्यायालय ने 28 अगस्त को कहा कि कानून एवं न्याय मंत्रालय की ओर से उसे जस्टिस कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की कॉलेजियम की सिफारिश को लेकर एक पत्र मिला है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि मंत्रालय की ओर से पत्र मिले पर कोई फैसला लेने के लिए इसे कॉलेजियम के सामने रखा जाएगा। इससे पहले केंद्र ने 16 अगस्त को शीर्ष अदालत से कहा था कि वह जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति से जुड़ी कॉलेजियम की सिफारिश पर एक सप्ताह के भीतर फैसला लेगा। बाद में उसने फाइल वापस भेज दी।
दरअसल, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 10 मई को जस्टिस अकील कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाए जाने के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार बताते हुए सिफारिश की थी। हालांकि केंद्र सरकार ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर अमल नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश में कहा था कि जस्टिस अकील कुरैशी गुजरात हाई कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायमूर्ति हैं और वर्तमान में तबादले पर बॉम्बे हाई कोर्ट में कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की राय है कि जस्टिस कुरैशी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्ति के लिए हर नजरिए से योग्य हैं।’
वहीं गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन (जीएचसीएए) ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्र को यह निर्देश देने की अपील की है कि वह जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति को अधिसूचित करे। अपनी याचिका में जीएचसीएए ने कहा है कि सरकार अन्य उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायधीशों की नियुक्ति को हरी झंडी दे चुकी है, न्यायमूर्ति कुरैशी के मामले में उसने कॉलेजियम की सिफारिश को अधिसूचित नहीं किया।