जुबिली स्पेशल डेस्क
देहरादून। उत्तराखंड में कुंभ में कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। दरअसल इस मामले में तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र रावत में खींचतान साफ देखी जा सकती है। मौजूदा सीएम और पूर्व सीएम ने इस मामले में अलग-अलग बयान देकर बीजेपी के कुनबे में और हलचल बढ़ा दी है।
क्या है कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े
मामला हरिद्वार में कुंभ मेले का है जब यहां पर निजी लैब द्वारा फर्जी कोविड टेस्ट की रिपोर्ट बनाने की बात सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग ने इस बारे में जानकारी दी है कि एक निजी लैब ने टेस्ट की संख्या ज्यादा दिखाने के लिए फर्जी आधार कार्ड जमा कर जांच में खेल किया गया है।
इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है. कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया है। वहीं एक ही घर से सैकड़ों लोगो की जांच का मामला सामने आया है।
मामला प्रकाश में तब आया जब पंजाब के एक युवक को कोरोना की रिपोर्ट एसएमएस कर दी गई। अहम बात यह है कि युवक इस कुंभ मेले में गया नहीं था और न ही इसने कोई जांच करायी। इसके बाद युवक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से
इस पूरे मामले में शिकायत की थी, जिसके बाद आईसीएमआर ने जांच के निर्देश जारी किए गए थे।
मामला प्रकाश में आने के बाद वहां की सरकार ने जांच बैठा दी है लेकिन इसमें मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का बयान बेहद चौंकाने वाला रहा है। उन्होंने कहा कि मैं मार्च में आया हूं और ये मामला बहुत पुराना है।
हमें इसकी जानकारी मिली, मैंने आते ही इसपर जांच कराई। हम चाहते हैं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। दोषी के खिलाफ सख़्त से सख़्त कार्रवाई होगी।
उधर मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पलटवार किया है और कहा है कि मामला बीजेपी सरकार का है। ऐसे में उसे किसी पद पर बैठे व्यक्ति के नाम से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। त्रिवेंद्र ने कहा कि उन्होंने कई आईएएस और पीसीएस अधिकारियों पर कारवाही की थी, तो तीरथ सरकार क्यों नहीं कर सकती।