प्रो. अशोक कुमार
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी रुकावट इसके प्रशंसक है जो इस नीति की वास्तविक ज़मीनी हक़ीक़त की अनदेखी कर रहे हैं ।यह जमीनी हकीकत है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) अभी तक देश में पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है।
इसके पीछे कई कारण हैं:
जिन छात्रों के लिए यह योजना बनायी गयी है उन्हे अभी तक इसका सम्पूर्ण ज्ञान ही नहीं है , न ही छात्रों ने चाहा न ही उन्हे बताया गया । आज विश्वविद्यालयों मे छात्र प्रवेश तो ले लेता है पर उसको विषय के पाठ्यक्रम के बारे मे न तो ज्ञान होता और न ही विश्वविद्यालयों द्वारा पाठ्यक्रम बताया जाता है क्योंकि पाठ्यक्रम ही सितम्बर मे बनाया जाता है ।
जटिलता: NEP में कई बड़े बदलाव सुझाए गए हैं। इन्हें लागू करने के लिए बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है, जो कि आसान नहीं है।
संसाधनों की कमी: NEP को लागू करने के लिए बड़ी मात्रा में धन और मानव संसाधन की आवश्यकता होती है। कई राज्यों में इन संसाधनों की कमी है।
शिक्षकों का प्रशिक्षण: NEP के अनुसार शिक्षकों को नए तरीके से पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। लेकिन अभी तक सभी शिक्षकों को पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिल पाया है।
पढ़ाई का माध्यम: NEP में मातृभाषा में शिक्षा देने पर जोर दिया गया है। लेकिन सभी स्कूलों में मातृभाषा में पढ़ाने के लिए पर्याप्त संसाधन और शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं।
कोविड-19 महामारी: कोविड-19 महामारी ने शिक्षा व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। इससे NEP के लागू होने में और देरी हुई है।
विद्वानों की चिंता ;
विद्वानों की चिंता है कि NEP के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अभी और बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्हें डर है कि अगर NEP को ठीक से लागू नहीं किया गया तो देश की शिक्षा व्यवस्था और पिछड़ जाएगी।
क्या किया जाना चाहिए:
NEP को सरल बनाया जाना चाहिए: NEP को इतना जटिल नहीं होना चाहिए कि इसे लागू करने में मुश्किल हो।
संसाधन जुटाए जाने चाहिए: NEP को लागू करने के लिए पर्याप्त धन और मानव संसाधन जुटाए जाने चाहिए।
शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए: सभी शिक्षकों को NEP के अनुसार पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
मातृभाषा में शिक्षा के लिए उपाय किए जाने चाहिए: सभी स्कूलों में मातृभाषा में पढ़ाने के लिए पर्याप्त संसाधन और शिक्षक उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम किया जाना चाहिए: कोविड-19 महामारी के कारण शिक्षा व्यवस्था पर पड़े प्रभाव को कम करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए। वास्तव मे कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण शिक्षा नीति 2020 के कुछ वर्षों बाद घोषणा करनी चाहिए थी !
(लेखक पूर्व कुलपति गोरखपुर,कानपुर विश्वविद्यालय रह चुके हैं)