न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी-शाह को क्लीन चिट दिए जाने का विरोध करने से चर्चा में आए चुनाव आयुक्त अशोक लवासा एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल केन्द्र सरकार लवासा का रिकार्ड खंगलवां रही है।
सार्वजनिक क्षेत्र की 11 कंपनियों को मोदी सरकार ने पत्र लिखकर कहा है कि वे अपने रिकॉर्ड्स खंगाल कर बताएं कि 2009-2013 के दौरान विद्युत मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कहीं अपने प्रभाव का अनुचित इस्तेमाल तो नहीं किया था।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, यह गोपनीय सूचना विद्युत सचिव की मंजूरी के साथ 29 अगस्त को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) के मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सीवीओ) से मांगी गई है।
इस पत्र में लिखा गया है, ‘ऐसा आरोप है कि आईएएस अधिकारी अशोक लवासा विद्युत मंत्रालय में जूनियर सेक्रेटरी/अतिरिक्त सचिव/विशेष सचिव के अपने सितंबर 2009 से दिसंबर 2013 के कार्यकाल के दौरान कुछ कंपनियों या उनकी सहयोगी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद के प्रभाव का का अनुचित इस्तेमाल किया।’
बिजली मंत्रालय ने पत्र के साथ 14 कंपनियों की सूची भेजी है जो सभी बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में लगी हुई है जहां चुनाव आयुक्त की पत्नी नोवेल लवासा ने निदेशक के रूप में कार्य किया है।
इसके साथ ही ए टू जेड समूह की कंपनियों को विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों और राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की गई 135 परियोजनाओं की एक सूची भी भेजी है, जिसमें नोवेल लवासा द्वारा प्राप्त 45.8 लाख रुपये के भुगतान के विवरण हैं।
इसके अलावा 2009-2011 के बीच ए टू जेड अपशिष्ट प्रबंधन लिमिटेड को विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दी गई 13 बड़ी परियोजनाओं की एक और सूची भेजी गई है, जब अशोक लवासा बिजली मंत्रालय में तैनात थे।
सभी सीवीओ से कहा गया है कि वे ऐसे किसी भी सबूत के लिए अपने रिकॉर्ड्स खंगालें जिसमें अशोक लवासा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया हो और इन कंपनियों से किसी तरह का कोई लाभ हासिल किया हो।
सार्वजनिक क्षेत्र की जिन कंपनियों को ये पत्र मिले हैं उनमें एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन), एनएचपीसी (पूर्ववर्ती राष्ट्रीय जल विद्युत निगम), आरईसी (पूर्व में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम) और पीएफसी (पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन) शामिल हैं।
लवासा से जब इस पत्र के बारे में पूछा गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें पत्र के बारे में जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने पांच मौकों पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर पीएम नरेन्द्र मोदी और मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह को चुनाव आयोग द्वारा दी गई क्लीनचिट का विरोध किया था।
यह भी पढ़ें : शिवसेना के अरमानों पर पानी न फेर दें राज्यपाल
यह भी पढ़ें : ‘गोमांस खाने वाले, कुत्ते का मांस भी खाएं’
इसके बाद पीएम मोदी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में असहमति का फैसला देने वाले लवासा ने ‘असहमति के मत’ को भी आयोग के फैसले में शामिल करने की मांग करते हुए आयोग की बैठकों का बहिष्कार कर दिया था।
इसके अलावा लवासा की बेटी और लेह की जिला चुनाव अधिकारी और उपायुक्त अवनि लवासा ने लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के पक्ष में रिपोर्ट करने के लिए जम्मू कश्मीर भाजपा नेताओं द्वारा लेह में मीडियाकर्मियों को लिफाफे में पैसे दिए जाने की शिकायतों को प्रथमदृष्टया सही पाया था और जांच का आदेश दिया था।
इसके बाद सितंबर माह में लवासा के परिवार के तीन सदस्यों को आयकर विभाग का नोटिस मिला था, जिसमें उनकी पत्नी नोवल सिंघल लवासा, बहन शकुंतला और बेटे अबीर लवासा शामिल हैं। इन सभी को आयकर की घोषणा न करने और अघोषित संपत्ति के आरोप में नोटिस भेजा गया था। इस मामले में कार्यवाही जारी है।
मालूम हो कि अशोक लवासा की बहन शकुंतला पेशे से बाल रोग चिकित्सक हैं और उनकी पत्नी नोवल सिंघल लवासा पूर्व बैंकर हैं और कई कंपनियों की निदेशक रह चुकी हैं। जबकि उनके बेटे अबीर लवासा नॉरिश ऑर्गेनिक फूड्स लिमिटेड नामक कंपनी के निदेशक हैं।
यह भी पढ़ें : पीएमसी घोटाला: नौवें खाताधारक की मौत
यह भी पढ़ें : भाजपा के ‘न्यू इंडिया’ में पुलिस भी कर रही है प्रदर्शन