जुबिली न्यूज डेस्क
इजराइल और हमास के बीच पांचवे दिन भी जंग जारी है। फिलिस्तीनी संगठन हमास ने गाजा पट्टी की ओर से ही इजराइल पर रॉकेट बरसाए हैं। इसके बाद से ही युद्ध चल रहा है। इस वॉर में सबसे ज्यादा चर्चा गाजा पट्टी की है, जो इस युद्ध का केंद्र बना हुआ है। गाजा पट्टी इजराइल और भूमध्यसाग के बीच बसा एक पट्टी के आकार का पतला इलाका है, जो फिलिस्तीन का हिस्सा माना जाता है। इसे ‘धरती का नर्क’ भी कहा जाता है। आइए जानते हैं क्यों…
गाजा पट्टी में खाना तक नसीब नहीं
गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक जिसे पश्चिमी किनारा भी कहा जाता है, दोनों मिलकर फिलिस्तीन बनता है। इन दोनों इलाकों के बीच इजराइल पड़ता है। गाजा पट्टी में रहने वाले लोगों के हालात बद से बदत्तर बताए जाते हैं। वर्ल्ड बैंक की पिछले महीने आई रिपोर्ट के अनुसार, इस जगह बेरोजगारी की दर 46 फीसदी है। करीब 60 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं।
गाजा पट्टी के हालात कितने खराब है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां रहने वालों को ठीक ढंग से खाना तक नहीं नसीब हो पाता है। अगस्त 2023 में संयुक्त राष्ट्र की रिलीफ एंड वर्क एजेंसी के अनुसार, गाजा पट्टी में हर पांच में से तीन इंसान को पर्याप्त खाना नहीं मिल पाता है। इसी वजह से उनकी सेहत ठीक नहीं होती है।
गाजा पट्टी के बद से बदतर हालात
गाजा पट्टी के लोगों को न सही तरह खाना मिल पाता है, न बुनियादी सुविधाएं और ना ही मेडिकल की किसी तरह की व्यवस्था है। यहां गंभीर बीमारियों का किसी तरह का इलाज नहीं है। बीमार होने के बाद लोग इलाके से बाहर जाकर दूसरे देशों में दवाई करवाते हैं। इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। उनके पास इतने पैसे भी नहीं कि कहीं और इलाज करवा पाए।
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गाजा पट्टी के हालात की वजह क्या है
गाजा पट्टी के हालात साल 2007 से ज्यादा ही खराब हो गए हैं। यह तब की बात है, जब फिलिस्तीन में हमास की सरकार बनी। हमास का जन्म 1980 में हुआ। यह एक सैन्य संगठन है, जिसका मकसद फिलिस्तीन की आजादी और अधिकारों के लिए संघर्ष करना है। गाजा पट्टी में हमास की सरकार बनने के बाद इजरायल और मिस्र दोनों ने अपनी-अपनी सीमाएं सील कर दी। इससे गाजा पट्टी के लोग समस्याओं से घिर गए। साल 2020 में आई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, हमास शासन के 10 सालों में इस इलाके को 16.7 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ और यहां गरीबी चार गुना ज्यादा बढ़ गई।
क्यों कहते हैं ‘पृथ्वी का नर्क’
रिपोर्ट्स के अनुसार, गाजा पट्टी के इलाके को मानवाधिकार आयोग खुले जेल भी कहते हैं। वर्तमान में जो स्थिति है, उससे यहां के हालात और भी खराब हो गए हैं। साल 2021 की बात है, जब संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतरेस ने गाजा पट्टी में बच्चों की हालत देख इस इलाके को ‘पृथ्वी का नर्क’ कहा था। तभी से बहुत से लोग इसे इसी नाम से जानते हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह इलाका दुनिया के सबसे गरीब में है।