Tuesday - 29 October 2024 - 1:07 AM

आखिर क्यों चर्चा में है गांधी परिवार के करीबी संजय सिंह

न्यूज डेस्क

गांधी परिवार के करीबी और अमेठी राजघराने के संजय सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। अबकी बार वह किसी पारिवारिक वजहों से नहीं बल्कि राजनीतिक कारणों से चर्चा में हैं।

गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे संजय सिंह भगवाधारी होने जा रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को राज्यसभा सांसद पद से और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। चर्चा है कि 31 जुलाई को वह बीजेपी में शामिल होंगे। उन्होंने दावा किया है कि कि उनकी दूसरी पत्नी अमिता सिंह भी बीजेपी में शामिल होंगी।

हालांकि संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह पहले से बीजेपी में हैं। वह अमेठी से विधायक हैं। इस तरह संजय सिंह का पूरा परिवार भगवाधारी हो जाएगा।

संजय सिंह इसके पहले भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके हैं। अब चूंकि अमेठी में गांधी परिवार की जड़े कमजोर हो गई हैं तो राजनीतिक कॅरियर की वजह से वह पाला बदल रहे हैं।

संजय का व्यक्तिगत जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है जिसका असर राजनीतिक जीवन पर भी पड़ा।

नेहरू गांधी परिवार से रहे है बेहद करीबी रिश्ते

नेहरू-गांधी परिवार से अमेठी राज परिवार का बेहद करीबी रिश्ता रहा है। मोतीलाल नेहरू को राजा माधव बख्श सिंह ने ही आनन्द भवन बनवाने की सलाह दी थी।

पूर्व प्रधाानमंत्री जवाहर लाल नेहरू 1926 में फैजाबाद-मछली शहर संयुक्त सीट से चुनाव लड़े थे तब उनका राजनीतिक केन्द्र अमेठी रियासत ही था।

नेहरू के बाद इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी और फिर राजीव गांधी ने अमेठी को अपना राजनीतिक कर्म भूमि बनाया। संजय सिंह का उस वक्त भी गांधी परिवार से बेहद करीबी रिश्ता था।

लेकिन 1989 में अमेठी राजपरिवार और गांधी परिवार में दरार पड़ गई। 1999 लोकसभा चुनाव में तो संजय सिंह ने सोनिया गांधी के खिलाफ मैदान में उतर गए थे। हालांकि फिर सारे गिले-शिकवें भुलाकर संजय ने फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

रियासत से जुड़े लोग बताते हैं कि जब देश में रियासतों के विलय का अभियान चला था तब जवाहर लाल नेहरू जी ने रणंजय सिंह को मंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उन्होंने नकार दिया था।

संजय का विधायक से राज्यसभा तक का सफर

25 सितंबर 1951 को जन्में अमेठी राजघराने के वारिस संजय सिंह ने अपने राजनीतिक की शुरुआत कांग्रेस से ही की। उन्होंने 1980 के लोकसभा चुनाव में संजय गांधी का समर्थन किया तो खुद 1980 से 1989 तक वह विधायक रहे। इस दौरान तत्कालीन प्रदेश सरकार में कई मंत्रालय भी संभाले। इस दौरान उन्होंने वन, पशुपालन और डेयरी, खेल युवा कल्याण के अलावा परिवहन मंत्री के रूप में भी उत्तर प्रदेश सरकार में काम किया।

1990 में राजा संजय सिंह राज्यसभा के सदस्य बने। 1990 से 1991 में केन्द्रीय संचार मंत्री रहे। 1998 में वह बीजेपी से 12वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। 2009 के चुनाव में वह सुलतानपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 2014 में कांग्रेस ने उन्हें आसाम से राज्यसभा भेज दिया।

कई बार सुर्खियों में रहे हैं संजय सिंह

संजय सिंह बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी मर्डर केस और 2014 में हुए राज घराने की विरासत को लेकर हुई जंग की वजह से वह पहले विवादों में रह चुके हैं।

जुलाई 2014 में संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह और दूसरी पत्नी अमिता सिंह के बीच सम्पत्ति को लेकर जंग छिड़ी थी। यह लड़ाई सड़क पर आ गई थी। गरिमा सिंह अपने तीनों बच्चों के साथ भूपति भवन में रहने आ गई थी। बवाल की आशंका में भूपति भवन को छावनी में तब्दील कर दिया गया था।

इसके पहले संजय सिंह और अमिता सिंह का नाम बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की हत्या में आया था जिसकी वजह से इन लोगों ने खूब सुर्खिया बटोरी थी।

राजधानी लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के बाहर 28 जुलाई 1998 को बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की गोलीमार कर हत्या कर दी गई थी। मोदी स्टेडियम से प्रैक्टिस करके निकल रहे थे। वे सड़क पर पहुंचे ही थे कि वहां पहले से घात लगाकर बैठे हत्यारों ने मोदी पर ताबड़तोड़ 8 गोलिया दागी।

जिस तरह से मोदी पर गोली चलाई गई थी उससे साफ था कि वह नहीं चाहते थे कि मोदी जिंदा रहें। शुरुआती जांच के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।

इस हत्याकांड की शुरुआती जांच में अमेठी के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले तत्कालीन जनमोर्चा नेता संजय सिंह का नाम सामने आया था। उनका नाम आने से उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल मच गया था।

इस हाईप्रोफाइल मर्डर की जांच पर पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई थी। पूरा देश ये जानना चाहता था कि किसके इशारे पर सैयद मोदी की हत्या की गई। सन 1988 नवंबर में सीबीआई ने इस केस में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें सात लोगों को आरोपी बनाया गया था।

आरोपियों में संजय सिंह, अमिता मोदी, अखिलेश सिंह, जितेंद्र सिंह, बलई सिंह, भगवती सिंह और अमर बहादुर सिंह शामिल थे। सीबीआई ने चार्जशीट में मेंशन किया था कि संजय सिंह, अमिता मोदी और अखिलेश सिंह ने मोदी के मर्डर की साजिश रची थी और बाकी 4 लोगों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था।

हालांकि सितंबर 1990 में सुबूतों के अभाव में सेशंस कोर्ट ने संजय सिंह और अमिता मोदी का नाम इस केस ही अलग कर दिया था। 1990 में सैयद मोदी मर्डर केस से बरी होने के बाद सन 1995 में संजय ने अमिता से शादी कर ली।

यह भी पढ़ें : यहां कांग्रेस कर रही थी संघर्ष, वहां नेता जी हुए मोदी के दीवाने

यह भी पढ़ें :  राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास, जानें विपक्ष से कहां हुई चूक

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com