जुबिली स्पेशल डेस्क
उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी हो रही है। इसको लेकर अक्सर पूछा जाता है कि आखिर क्यों नहीं अभी तक उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई।
अब इसको लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को इसके बारे में जानकारी दी है। केंद्र सरकार के अनुसार उसे कॉलेजियम की ओर से की गई सिफारिशों के बारे में संवेदनशील सामग्री प्राप्त हुई है, जिसके कारण विभिन्न उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी हो रही है।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की ओर से यह जवाब अधिवक्ता हर्ष विभोर सिंघल की ओर से दायर याचिका पर जवाब दिया गया है। केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से अनुशंसित न्यायाधीशों की नियुक्तियों को अधिसूचित करने के लिए एक निश्चित समय सीमा की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 सितंबर को करेंगे। बता दें कि जुलाई में ही कॉलेजियम ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में आठ मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की थी।
जिसमें न्यायमूर्ति मनमोहन, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश हैं, को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में प्रस्तावित किया गया है। वहीं इसके आलावा न्यायमूर्ति नितिन जामदार को केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में, न्यायमूर्ति केआर श्रीराम को मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में और न्यायमूर्ति ताशी रबस्तान को मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शामिल किया गया है जबकि न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव का हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरण, न्यायमूर्ति राजीव शकधर को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में, न्यायमूर्ति सुरेश कैत को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में, न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में, न्यायमूर्ति नितिन जामदार को केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शामिल किया गया है।