Tuesday - 29 October 2024 - 8:30 AM

स्वामी प्रसाद मौर्य क्यों हैं अखिलेश के लिए ‘ट्रंप कार्ड’

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सपा एक बार फिर पुरानी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। पिछले साल विधान सभा चुनाव में मिली हार के बावजूद समाजवादी पार्टी हार नहीं मानी है। इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए उसने अपनी पार्टी को मजबूत करना शुरू कर दिया है।

हालांकि इस बार सपा पहले से बेहतर लग रही है क्योंकि मुलायम के जाने के बाद उनका बिखरा हुआ कुनबा एक हो गया है। नाराज चाचा ने अब अखिलेश यादव का साथ देने का फैसला किया और फिर से सपा में शामिल हो गए है। इसके बाद से सपा पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही है।

चाचा और भतीजे की जोड़ी से बीजेपी भी टेंशन में है। हालांकि पार्टी के कुछ नेता अपने बयानों की वजह से सपा को मुश्किल में डालने का काम जरूर कर रहे हैं।

ताजा मामला है स्वामी प्रसाद मौर्य। स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी से किनारा करके सपा का दामन थामा और चुनाव में ताल ठोंकी और हार का मुंह देखना पड़ा।

हार के बाद सपा ने उनको उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भेजा। इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के कुछ ऐसे बयान सपा के लिए मुश्किलें पैदा करने काम कर रही है। उनमें रामचरित्र मानस पर विवादित बयान सपा को बैकफुट डाल दिया है। इतना ही नहीं सपा उनपर कार्रवाई करने से बच रही है।

उनको बचाने के चक्कर में सपा ने दो महिला नेता रोली तिवारी और रिचा सिंह को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। अखिलेश यादव के इस कदम पर सवाल उठ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद सपा स्वामी प्रसाद मौर्य को खोना नहीं चाहती है। यानी मतलब साफ है कि सपा हर हाल में उनको अपनी पार्टी में बनाये रखना चाहती है।

हालांकि शिवपाल यादव सिर्फ इतना कह रहे हैं कि मौर्य को धार्मिक मुद्दे से दूर रहने के लिए कहा गया है। दरअसल सारा खेल वोट बैंक का है। भले ही स्वामी प्रसाद मौर्य विधान सभा चुनाव हार गए हो लेकिन सपा में उनका कद कम होने के बजाये लगातार बढ़ाया जा रहा है। यूपी में र्मार्य वोटर्स करीब आठ प्रतिशत है।

ऐेसे में अखिलेश वो वोट बैंक किसी भी तरह से गवाना नहीं चाहते हैं। इतना ही नहीं लोकसभा के 15 सीटों पर मौर्य वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इस वजह से सपा उनको लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठा रही है। यूपी की सियासत में स्वामी प्रसाद मौर्य अब बड़ा नाम है।

रायबरेली, बदायूं, कुशीनगर और प्रतापगढ़ जिले में स्वामी प्रसाद मौर्य का दबदबा देखने को मिलता है। इतना ही नहीं स्वामी प्रसाद मौर्य बयान देने में काफी माहिर है और वो अपने बयानों से राजनीतिक हवाओं को अपनी तरफ मोडऩे काफी हुनर रखते हैं।

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