जुबिली स्पेशल डेस्क
बॉलीवुड की जानी-मानी एक्ट्रेस कंगना रनौत की मुश्किले कम होने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल से बाहर कर्नाटक कोर्ट ने fir दर्ज करने का आदेश दिया है। दरअसल किसान आंदोलन के खिलाफ कंगना रनौत के विवादित ट्वीट के कारण कोर्ट ने ये आदेश दिया है।
जानकारी के मुताबिक वकील एल. रमेश नाइक की तरफ से की गई शिकायत की गई थी। इसके बाद ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (जेएमएफसी) ने क्याथासांद्रा पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर को कंगना के खिलाफ एफआईआर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 155 (3) के तहत आवेदन देकर जांच की मांग की है।
यह भी पढ़ें : डोनाल्ड ट्रंप की झूठ बोलने की आदत, कोरोनावायरस और बेरोजगारी है अमरीकी चुनाव का मुद्दा
इस मामले में नाइक ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि कोर्ट ने अधिकार क्षेत्र में आने वाले पुलिस स्टेशन से कहा कि वे एक्ट्रेस के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करें।
यह भी पढ़ें : सावधान : करेंसी नोटों से भी हो सकता है कोरोना
यह भी पढ़ें : बड़ा सवाल : हाथरस केस में कब होगी CBI की एंट्री
A Karnataka court orders registration of FIR against actor Kangana Ranaut for her now-deleted tweet on farmers' protests over recently passed farm laws. (file photo) pic.twitter.com/Vd7GdZgHnC
— ANI (@ANI) October 9, 2020
कंगना ने क्या किया था ट्वीट
कंगना ने किसान आंदोलन को लेकर एक ट्वीट 21 सितम्बर को किया था। इस ट्वीट में कहा गया था कि जिन लोगों ने सीएए पर गलत जानकारी और अफवाहें फैलाईं, जिसकी वजह से हिंसा हुई वही लोग अब किसान विरोधी बिल पर पर गलत जानकारी फैला रहे हैं, जिससे राष्ट्र में डर है। वे आतंकी हैं। इसी ट्वीट को लेकर सारा विवाद हुआ है। नाइक ने कहा कि इस ट्वीट ने ठेस पहुंचाया है, जिसके चलते उन्हें कंगना रनौत के खिलाफ केस फाइल करने पर मजबूत होना पड़ा है।
बता दें कि बॉलीवुड स्टार कंगना रनौत इन दिनों ज्यादा सुर्खियों में है। हालांकि कंगना फिल्मों के लिए नहीं बल्कि अपने तीखे बयान के लिए ज्यादा चर्चा में रहती है। दरअसल मौजूदा समय में अभिनेत्री कंगना रनौत और शिवसेना के बीच तकरार चरम पर पहुंच गई थी। दोनों एक दूसरे के खिलाफ लगातार बयान दे रहे थे।
शिवसेना कंगना के पीओके वाले बयान पर लगातार निशाना साध रही थी। बीएमसी ने जब कंगना रनौत के आफिस में तोडफ़ोड़ की तो शिवसेना की देशव्यापी आलोचना हुई थी।