न्यूज डेस्क
कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जहां मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बागी विधायकों के इस्तीफे की वजह से कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहा है तो वहीं हरियाणा कांग्रेस में भी विरोध शुरु हो गया है। राज्यसभा टिकट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुमारी सैलजा को टिकट देने को लेकर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा है कि एक शख्स को दोनों चीजें नहीं मिल सकतीं।
गौरतलब है कि हरियाणा से राज्यसभा की एक सीट के लिए सर्व सम्मति से टिकट तय न होने पर कांग्रेस में राजनीतिक संकट खड़े होने के आसार हैं। राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा फिर से अपनी दावेदारी 9 अप्रैल को खाली हो रही राज्यसभा की सीट पर जता रही हैं, जो नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा को स्वीकार नहीं है।
दरअसल कुमारी सैलजा हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं, इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा नहीं चाहते कि एक व्यक्ति को दो पद दिए जाएं। वह अपने बेटे पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा के लिए टिकट चाह रहे हैं। इसलिए उन्होंने सैलजा की दावेदारी का खुला विरोध किया है।
11 मार्च को हुड्डा दिल्ली में 31 में से 24 विधायकों के साथ बैठक कर शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं। सैलजा के साथ तीन ही विधायक माने जा रहे हैं। एआईसीसी मीडिया विभाग के चेयरमैन रणदीप सुरजेवाला भी राज्यसभा में एंट्री के लिए जोर लगाए हुए हैं।
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ऐसी चर्चा है कि दो दिन पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी की थी। सूत्र बताते हैं कि हुड्डा ने भाजपा की रणनीति के सामने पार्टी विधायकों को एकजुट रखने के लिए दीपेंद्र हुड्डा को उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव भी रखा, मगर हाईकमान प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा को ही फिर से उम्मीदवार बनाने के पक्ष में है।
हरियाणा कांग्रेस में जिस तरह के हालात है उस हिसाब से अगर हुड्डा की पसंद के नेता को कांग्रेस हाईकमान टिकट नहीं देता है तो क्रॉस वोटिंग भी हो सकती है। 2016 में ऐसा हो चुका है। स्याही कांड के चलते सुभाष चंद्रा जीत गए थे। उस समय भी कांग्रेस विधायकों पर क्रॉस वोटिंग के आरोप लगे थे।
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