जुबिली न्यूज डेस्क
अक्सर सुनने में आता है कि फेसबुक ने फलां की आई ब्लॉक कर दी है, क्योंकि उसकी आईडी से आपत्तिजनक पोस्ट शेयर किया गया है। फेसबुक भी अक्सर कहता है कि वह ऐसी किसी भी फोटो-वीडियो या स्पीच को शेयर करने की अनुमति नहीं देता है जो हिंसा को बढ़ावा देते हैं। फेसबुक की यह गाइडलाइन शायद आम आदमी के लिए हैं, क्योंकि फेसबुक जहां आम आदमी की आईडी खबरें ज्यादा शेयर करने पर ब्लॉक कर देता हैं वहीं बीजेपी से जुड़े ग्रुप और व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता।
यह खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नियंत्रित रखने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
ये भी पढ़े : ‘क्या देश में आज बोलने या लिखने की आजादी बची है?’
ये भी पढ़े : तमाम आपत्तियों के बीच रूस में बनी कोरोना वैक्सीन की पहली खेप
ये भी पढ़े : लखीमपुर में शर्मसार हुई इंसानियत, 13 साल की बच्ची का रेप कर फोड़ी आंख
रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक की भारत में टॉप पब्लिक पॉलिसी कार्यकारिणी ने सत्ताधारी बीजेपी से जुड़े कम से कम 4 व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ ‘घृणा संदेश के नियम लागू करने का विरोध किया है’। रिपोर्ट में कहा गया है कि तथ्य यह है कि ये व्यक्ति या संगठन हिंसा भड़काने में लगे थे।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र हैं कि फेसबुक ने ऐसा बिजनेस को नुकसान पहुंचने की संभावनाओं को देखते हुए किया है। रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी निदेशक अंखी दास ने अपने स्टाफ को कथित तौर पर बताया है कि भाजपा नेताओं को हिंसा के लिए दंडित करने से ‘कंपनी की भारत में बिजनेस संभावनाओं को नुकसान हो सकता है।’
भारत में फेसबुक यूजर्स की संख्या उसकी ग्लोबल मार्केट यूजर्स की संख्या में सबसे ज्यादा है।
ये भी पढ़े : अमेरिकी राष्ट्रपति के छोटे भाई की हुई मौत
ये भी पढ़े : रूस की कोरोना वैक्सीन पर इस देश के राष्ट्रपति को है पूरा भरोसा
ये भी पढ़े : कोरोना वैक्सीन पर राहुल की सरकार को ये सलाह
रिपोर्ट में तेलंगाना से बीजेपी विधायक टी.राजा सिंह के घृणा संदेश को उल्लेख किया गया है, जिसमें वह कथित तौर पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का आह्वान कर रहे हैं। फेसबुक के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों का कहना है कि अंखी दास का इस मामले में दखल कंपनी के सत्ताधारी पार्टी के साथ पक्षपात के व्यापक पैटर्न का हिस्सा है।
रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक के आंतरिक स्टाफ का मानना है कि कंपनी की पॉलिसी के तहत विधायक को प्लेटफॉर्म पर बैन कर देना चाहिए। फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन का कहना है कि दास ने इस मामले में राजनीतिक पतन का हवाला दिया था लेकिन सिंह को प्लेटफॉर्म पर बैन नहीं करने की कई अन्य वजह भी हैं।