न्यूज डेस्क
एक बार फिर जेएनयू, लेफ्ट-राइट और टुकड़े-टुकड़े गैंग चर्चा में है। रविवार को जेएनयू परिसर में जिस तरह हिंसा को अजांम दिया गया वह शर्मनाक है। इस हिंसा के बाद से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। सोशन मीडिया पर #jnuviolence और #JNUattack ट्रेंड कर रहा है। इसी के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पुराना बयान “टुकड़े-टुकड़े गैंग को दंड देने का वक्त आ गया हैÓ भी तेजी से शेयर हो रहा है।
सोशल मीडिया पर जेएनयू हिंसा पर लोगों की खूब प्रतिक्रिया आ रही है। ट्विटर पर अमित शाह का पुराना बयान शेयर किया जा रहा है तो कुछ लोग इसके लिए अमित शाह को जिम्मेदार मान रहे हैं।
ट्विटर यूजर खुर्शीद अहमद ने अखबार में छपे अमित शाह के पुराने बयान को शेयर किया है। साथ ही उन्होंने लिखा, “क्या गृहमंत्री अमित शाह अपने पद पर बने रहने के लायक हैं? जेएनयू में इस अशांति के लिए वे पूरी तरह से जिम्मेदार है।”
मालूम हो कि केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर नागरिकता कानून पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा था, “जनता को गुमराह कर दिल्ली का माहौल बिगाड़ा जा रहा है। अब टुकड़े-टुकड़े गैंग को सजा देने का वक्त आ गया है। दिल्लीवासियों को उन्हें सजा देनी चाहिए।” शाह ने सीएए को लेकर हो रहे प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा था कि कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष ने भ्रम फैलाया है।
हालांकि जेएनयू में हुई हिंसा की घटना के लिए गृहमंत्री ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिए हैं तो वहीं एचआरडी मंत्रालय ने इसकी निंदा की है। वामपंथी संगठनों ने इसके पीछे एबीवीपी का हाथ बताया है तो एबीवीपी ने वामपंथी संगठनों को। वहीं विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर मोदी सरकार पर चौतरफा हमला बोला है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ”नकाबपोशों द्वारा जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों पर किया गया क्रूर हमला जिसमें कई गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, चौंकाने वाला है। हमारे राष्ट्र में फासीवादी हमारे बहादुर छात्रों की आवाज से डरते हैं। जेएनयू की हिंसा उसी डर का प्रतिबिंब है।”
वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ”JNUमें जिस तरह नक़ाबपोश अपराधियों ने छात्रों और अध्यापकों पर हिंसक हमला किया है वो बेहद निंदनीय है। इस विषय में तत्काल उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए।”
सोशल मीडिया यूजर प्रशांत भारत यादव ने लिखा, ”JNU के अंदर संघी नकाबपोश और बाहर संघी सफेदपोश- पूरे देश में तांडव मचाए हैं! अंदर सजग छात्रों से भय और बाहर देश के नागरिकों से ही भय! चलते दिमाग से भय! बोलते लबों से भय! जगाते नज़्मों से भय!”
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