स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सपा कमजोर पड़ चुकी है। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से अखिलेश यादव ने कमर कस ली और पार्टी को दोबारा मजबूत करने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं।
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दूसरी ओर उनके चाचा शिवपाल यादव और उनके बीच रार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि बीच में कयास लगाये जा रहा था कि बीजेपी को रोकने के लिए फिर एक साथ नजर आ सकते हैं लेकिन अभी तक ऐसा नहीं पाया है। दोनों के बीच दूरियां कम होने का नाम नहीं ले रही है।
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ऐसे में 2020 दोनों के लिए बेहद अहम होने जा रहा है। सपा और शिवपाल की पार्टी प्रसपा दोनों ही बीजेपी को रोकने का दावा कर रहे हैं। जानकारों की माने तो इस साल होने वाले सहकारिता चुनाव भी दोनों पार्टियों के लिए बेहद अहम होने जा रहा है। दरअसल कहा जाता है कि जो यहां पर जीत दर्ज करता वह सत्ता के शिखर पर पहुंच जाता है।
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इसके साथ अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का पूरा जोर सहकारिता चुनाव पर होगा। कोऑपरेटिव चुनाव को ध्यान में रखकर दोनों ही दल अपनी-अपनी पार्टी में लगातार बदलाव कर रहे हैं। बता दें कि यूपी सहकारी बैंक हों या अन्य कोऑपरेटिव सोसाइटी के चुनाव में शिवपाल यादव का दबदबा देखने को मिल चुका है। हालांकि अब पहले जैसी बात नहीं रही है। इसलिए सहकारिता चुनाव में अब भगवा झंडा भी फहर सकता है। शिवपाल यादव के सुपुत्र आदित्य यादव वर्तमान में पीसीएफ के चेयरमैन हैं। अब देखना होगा कि सहकारिता चुनाव या फिर छोटी पंचायत ये दल कैसा प्रदर्शन करते हैं।