न्यूज डेस्क
क्या सच में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पूर्व की घटनाओं से सबक नहीं लेते हैं। हाल की घटना से तो ऐसा ही लगता है। राहुल गांधी को राजनीति का लंबा अनुभव है, फिर भी वह बार-बार गलती कर रहे हैं। तो क्या वह मोदी-शाह की राजनीति समझ नहीं पा रहे हैं या कोई और वजह है कि वह बार-बार मोदी का नाम लेकर हमला कर अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दे रहे हैं।
बीते दिनों राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि छह महीने बाद देश के युवा उन्हें डंडे से मारेंगे। उनके इस बयान पर संसद में शुक्रवार को खूब हंगामा हुआ। इससे पहले गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी संसद में इशारों-इशारों में उनके बयान को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। बीजेपी आने वाले समय में इस बयान को कैसे भुनायेगी यह सवाल अहम है।
2019 के चुनाव में कांग्रेस ने एक नारा दिया था चौकीदार चोर है। कांग्रेस ने बहुत कोशिश की कि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल पाए, लेकिन वह नाकाम रही। उल्टा बीजेपी ने उसे ही अपना हथियार बना लिया और ‘मैं भी चौकीदार’ का नारा बुलंद कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे चुनाव अभियान के दौरान हर रैली, जनसभा में अपने आपको देश का चौकीदार बताया। इसका असर ये रहा कि भाजपा का ‘मैं भी चौकीदार’ कैंपेन सफल रहा।
यहां सवाल उठता है कि क्या राहुल व कांग्रेस ने इस कैंपेन से सबक नहीं लिया? जाहिर है इन लोगों ने सबक नहीं लिया है। सबक लिया होता तो राहुल गांधी मोदी पर व्यक्तिगत हमला करने से बचते। राहुल बार-बार ये गलती नहीं करते।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दूबे कहते हैं, राहुल गांधी ने पिछली घटनाओं से सबक नहीं लिया है। मोदी-अमित शाह की राजनीति को आज भी राहुल गांधी या ये कहे कि कांग्रेस समझ नहीं पा रही तो गलत नहीं होगा। राहुल जितनी बार अपने भाषण में मोदी का नाम लेंगे, मोदी और बीजेपी को उतना ही फायदा होगा।
वो कहते हैं, आप मोदी को सुनिए। मोदी कभी भी राहुल या उनके परिवार पर डायरेक्ट टिप्पणी नहीं करते। वह परिवारवाद पर चोट करते हैं तो शहजादा या कुछ और उपमा देते हैं। वह उपमाओं के जरिए राहुल व उनके परिवार पर निशाना साधते हैं, जबकि राहुल डायरेक्ट मोदी का नाम लेकर हमला करते हैं।
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कांग्रेस पार्टी लगातार नुकसान झेल रही है। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा, हर जगह पार्टी सिमटती जा रही है। बावजूद वह सबक लेने को तैयार नहीं है। कांग्रेस पार्टी के नेता लगातार मौका दिए जा रहे हैं जिससे बीजेपी को लाभ हो रहा है?
इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार सुशील वर्मा ने कहते हैं, कांग्रेस को पिछली घटनाओं से सबक लेना चाहिए। सोनिया गांधी हो या मणिशंकर अय्यर के तमाम बयान जिनमें उन्होंने मोदी के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल किया, इसकी कीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ी। राहुल गांधी को सोचना चाहिए। मोदी देश के प्रधानमंत्री है और उनसे उम्र में बड़े हैं। ऐसे में राहुल जितनी बार मोदी पर सीधा प्रहार करेंगे इससे उन्हीं का नुकसान होगा। मोदी और मजबूत होंगे।
दरअसल राहुल गांधी जो कर रहे हैं उनमें उनके साथ-साथ पार्टी की भी गलती है। राजनीति में सुझाव और अनुभव से इंसान खुद को सुधारता है, लेकिन राहुल गांधी के साथ मामला अलग है। उनकी पार्टी में किसी के पास इतना साहस है नहीं कि उन्हें सुझाव दे सके और ये बता सके कि उन्होंने कुछ गलत बोला है। इसलिए उनको लगता है कि वह जो बोल रहे हैं वह ठीक है। जाहिर है ऐसे में राहुल गांधी कहां सुधरेंगे।
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राहुल को केजरीवाल से लेना चाहिए सबक
दिल्ली चुनावों के बीच में राहुल गांधी ने मोदी को लेकर टिप्पणी की। राहुल को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की राजनीति से सबक लेना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दूबे कहते हैं, राहुल को अरविंद केजरीवाल से सबक लेना चाहिए था। पहले केजरीवाल लगातार प्रधानमंत्री के मोदी के खिलाफ निजी हमला करते थे। मोदी को साइकोपैथ और कायर क्या-क्या नहीं बोला, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद केजरीवाल को समझ आ गया कि व्यक्तिगत हमला करने पर फायदा मोदी और बीजेपी को ही मिलता है।
वो कहते हैं , 23 मई 2019 के बाद केजरीवाल का कोई भी व्यक्तिगत बयान नरेंद्र मोदी के बारे में आपने नहीं सुना होगा। हाल ही में फवाद हुसैन ने बयान दिया तो उस पर केजरीवाल ने कहा कि वो हमारे भी प्रधानमंत्री हैं और आप बीच में ना पडि़ए। इस तरह की गरिमा की अपेक्षा उन सभी से होती है जो भी सार्वजनिक जीवन और बड़े पद पर हैं। राहुल में भी ऐसी ही उम्मीद की जाती है।
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