जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव ने बीजेपी को गहरा जख्म दिया है। भले ही उसने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार फिर से बना ली हो लेकिन उसका 400 प्लस का नारा पूरी तरह से फेल हो गया है और सिर्फ 240 सीट ही उसके खाते में गई।
इस वजह से अपने बल पर सरकार बनाना उसके बस में नहीं था। ये तो अच्छा रहा कि चुनाव से पहले नीतीश कुमार और नायडू एक साथ एनडीए में फिर से शामिल हो गए।
इसका नतीजा ये रहा कि एनडीए की सरकार फिर से बन गई लेकिन कुछ राज्यों में खासकर यूपी में उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने मिलकर बीजेपी को यहां पर काफी नीचे पहुंचा दिया है। योगी की रणनीति पूरी तरह से फेल हो गई।
जिस पार्टी ने यहां पर पिछले दो लोकसभा चुनाव में अपना दबदबा कायम करने वाली पार्टी ने सिर्फ इस बार 33 सीट ही जीत पाई। इस वजह से योगी पर अच्छा खासा दबाव देखने को मिल रहा है।
इतना ही नहीं यूपी बीजेपी के अंदर अब बड़ा टकराव देखने को मिल रहा है। आलम तो ये ही है बीजेपी पार्टी के अंदर भी एक विपक्ष स्थापित होता हुआ नजर आ रहा है। 14 जुलाई की बैठक में ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अलग सुर अपनाते हुए ये कह दिया कि सरकार से बड़ा संगठन है। ये सीधे तौर योगी पर सवाल उठाता हुआ दिख रहा था।
कहा तो ये भी जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच अब संबंध पहले जैसे नहीं रहे हैं और राहे अलग हो सकती है। वहीं इस सब के बीच सोमवार को सीएम योगी ने अधिकारियों के साथ आजमगढ़ में समीक्षा बैठक की थी. उसमें सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन वो वहां नहीं पहुंचे।
मामला यहीं पर खत्म नहीं हुआ बल्कि राजभर केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात करने पहुंच गए। दोनों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गई। इसे भी योगी और केशव प्रसाद के टकराव के तौर पर देखा जा रहा है।
इसके बाद मंगलवार को केशव प्रसाद मौर्य ने लखनऊ स्थित अपने कैंप कार्यालय में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद से मुलाकात कर योगी पर अतिरिक्त दबाव जरूर बढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि बीजेपी के आला नेता इन दोनों के बीच छिड़ी रार को कैसे शांत और खत्म करता है।