जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. नगर निगम की बैठक में पटरी दुकानदारों से लिया जाने वाला वार्षिक लाइसेंस शुल्क 7200 से बढ़ाकर 14 हज़ार 400 रुपये करने और साप्ताहिक बाजारों के व्यापारियों के लिए निर्धारित हर बाज़ार में 25 रुपये प्रति दुकानदार की जगह 50 रुपये प्रति दुकानदार लिए जाने का प्रस्ताव पेश किया गया. इस प्रस्ताव को सभासदों के भारी विरोध की वजह से नगर निगम को वापस लेना पड़ा.
लखनऊ नगर निगम अपनी आय के साधन बढ़ाने की कोशिशों में लगा है. इन्हीं कोशिशों के क्रम में सदन में यह प्रस्ताव लाया गया लेकिन व्यापारियों पर टैक्स का दोगुना भार लादे जाने के प्रस्ताव को सभासदों ने मानने से इनकार कर दिया.
कोरोना महामारी के बाद कुछ महीने पहले ही पटरी दुकानदारों और साप्ताहिक बाज़ार के व्यापारियों ने अपनी दुकानें शुरू की हैं. उनकी अपनी गाड़ी पटरी पर आ पाती उसके पहले ही लाये गए इस प्रस्ताव को सभासदों ने अमानवीय मानते हुए उसका कड़ा विरोध किया.
साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति ने लखनऊ के सभासदों का आभार जताते हुए कहा है कि विपरीत परिस्थितियों में जिस तरह से उन्होंने छोटे व्यापारियों के पक्ष में आवाज़ उठाई है वैसा आमतौर पर देखने को नहीं मिलता है.
साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति के अध्यक्ष वसी उल्ला आज़ाद ने कहा है कि समिति ने पिछले साल ही नगर आयुक्त से लेकर मुख्यमंत्री तक को पत्र भेजकर यह मांग की थी कि नगर निगम द्वारा निर्धारित शुल्क बहुत ज्यादा है. बेहतर होगा कि नगर निगम राजधानी में लगने वाले पाँचों बाज़ारों का सर्वे कराकर खुद इस नतीजे पर पहुंचे कि इस शुल्क में कमी की जानी चाहिए. इसके बावजूद नगर निगम की मंशा टैक्स को दोगुना करने की थी.
साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति ने नगर निगम की बैठक के बाद इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर व्यापारियों का साथ देने के लिए सभासदों का आभार जताया. इस बैठक में महामंत्री अनिल सक्सेना, उपाध्यक्ष विनोद कुमार गुप्ता, कोषाध्यक्ष मोहम्मद इस्माइल और मंत्री लक्ष्मण वर्मा आदि मौजूद थे.
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