जुबिली न्यूज डेस्क
मॉरीशस अपनी खूबसूरती और नीले समुद्र के लिए सैलानियों की पहली पसंद माना जाता है। वहां का नीला समुद्र लोगों को बहुत आकर्षित करता है, पर इन दिनों यह काला हो गया है।
बॉलीवुड स्टार भी अक्सर छुट्टियां बिताने मॉरीशस जाते हैं। वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तस्वीरे भी पोस्ट करते हैं। इन तस्वीरों में नीला समुद्र देखकर आपभी एक बार जाने की जरूर सोचते हैं। फिलहाल इन दिनों नीला समुद्र काला दिख रहा है।
दरअसल दक्षिण-पूर्वी मॉरीशस के तटीय इलाकों और लैगून के नजदीक जापान के स्वामित्व वाले जहाज से तेल रिसाव होने की घटना सामने आई है। जिसकी वजह से समुद्र काला दिख रहा है।
हालांकि ये उतनी बड़ी घटना नहीं है, जितनी बड़ी तेल रिसाव की घटनाएं दुनिया में पहले हुई हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे होने वाला नुकसान बहुत बड़ा होगा।
वैज्ञानिकों की चिंता यूं ही नहीं है। दरअसल तेल रिसाव वाली जगह के नजदीक दो संरक्षित समुद्री इकोसिस्टम और ब्लू बे मरीन पार्क रिजर्व हैं। ये ब्लू बे मरीन पार्क रिजर्व अंतरराष्ट्रीय महत्व का एक वेटलैंड है, जहां कई प्रजातियों के समुद्री जीव और पौधे हैं।
वैज्ञानिक पर्यावरण पर संभावित गंभीर असर को लेकर चिंतित हैं। हालांकि तेल रिसाव बहुत दूर तक नहीं हुआ है।
जुलाई के आखिर में जापान का एक जहाज एमवी वकाशियो, पोइंट डी’एसनी में फंस गया था और छह अगस्त से उस जहाज से तेल लीक होने लगा।
सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है कि तेल रिसाव, पोइंट डी’एसनी के मेनलैंड से आइ-लॉक्ज-एग्रेट्स के द्वीप तक फैल गया है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि जहाज से अब तक एक हजार टन से ज़्यादा का ईंधन लीक होकर लैगून में जा चुका है।
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इस तेल को साफ करने के लिए बड़ा अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें कई स्थानीय लोग मदद कर रहे हैं। जहाज से हुए नुकसान के करीब दो सप्ताह बाद 7 अगस्त को मॉरीशस की सरकार ने इस घटना को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया।
पिछले तेल रिसावों का असर
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इससे पहले जो तेल रिसाव हुए हैं, उनसे समुद्री जीवों और पौधों को बहुत नुकसान हुआ है। मैक्सिको की खाड़ी में साल 2010 में करीब 400,000 टन तेल रिसाव हुआ था, जिससे प्लवक से लेकर डॉल्फिन तक – हजारों प्रजातियों की मौत हो गई थी।
समुद्री जीवन पर अन्य दीर्घकालिक प्रभाव भी हुए, जैसे प्रजनन की क्षमता पर असर पड़ा, ग्रोथ कम हो जाना, जीवों को घाव पड़े और बीमारी हो गई। ऐसा ही कुछ 1978 में फ्रांस के ब्रिटनी में कच्चे तेल का एक बड़ा जहाज फंस गया, जिससे करीब 70 मिलियन गैलन तेल समुद्र में लीक हुई थी।
तेल की चिकनी परत से फ्रांस के तट का करीब 200 मील का हिस्सा प्रदूषित हो गया और मोलस्क और क्रस्टेशियंस जैसे जीवों की जान गई। तेल रिसाव की वजह से करीब 20 हजार पक्षियों की जान भी गई और क्षेत्र के सीप भी खराब हो गए थे। विशेषज्ञों की मानें, तो पूरी कोशिश के बाद भी इन घटनाओं में 10 प्रतिशत से कम तेल ही सफलतापूर्वक निकाला जा सका।
मॉरीशस तेल रिसाव की घटना में मदद के लिए फ्रांस ने अपने नजदीक के रीयूनियन द्वीप से एक सैन्य एयरक्राफ्ट भेजा, जिसके साथ प्रदूषण नियंत्रित करने वाले कुछ उपकरण भी भेजे गए।
इसके अलावा जापान ने भी फ्रांस की कोशिशों में अपनी तरफ से मदद करने के लिए छह सदस्यों वाली टीम भेजा है। मॉरीशस के तट रक्षक और कई पुलिस इकाइयां भी द्वीप के दक्षिण-पूर्वी स्थित घटनास्थल पर पहुंच गई हैं।
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