Tuesday - 29 October 2024 - 2:10 AM

माता प्रसाद ने क्यों कहा-क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का कोई कैडर नहीं होता है ?

भाजपा ना तो पसमांदा मुसलमानों के प्रति सहानुभूति रखती है और ना ही पिछड़ो के प्रति – माता प्रसाद त्रिपाठी, पूर्व विधानसभाध्यक्ष उत्तर प्रदेश
ओम प्रकाश सिंह
बयासी साल की उम्र में भी समाजसेवा का जज्बा किसी नौजवान को शर्मिंदा कर सकता है। दो बार उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष रहे माता प्रसाद त्रिपाठी सातवीं बार विधायक हैं। पहनावे के मामले में डा लोहिया की तरह देखते ही समाजवादी होने का आभास हो जाता है।
जा सकता है  कि डा लोहिया, जनेश्वर मिश्र, मोहन सिंह,  बृजभूषण तिवारी के बाद माता प्रसाद त्रिपाठी समाजवादी वैचारिकी के शेष कुछ प्रमुख स्तभों में से एक हैं।
बिना लागलपेट बोलने के साथ अपनों के लिए चौबीस घंटे मदद को तैयार रहते हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का मानना है कि क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का कोई कैडर नहीं होता है। पेश है अयोध्या प्रवास पर आए खांटी समाजवादी त्रिपाठी से पत्रकार ओम प्रकाश सिंह का साक्षात्कार…
1.. नगरीय चुनाव के साथ आगामी लोकसभा चुनाव में पसमांदा मुसलमानों और पिछड़े वर्ग को जोड़ने की भाजपाई रणनीति को सपा किस दृष्टि से देखती है?
जवाब –भाजपा ना तो पसमांदा मुसलमानों के प्रति सहानुभूति रखती है और ना ही ओबीसी के प्रति। समाजवादी पार्टी तो पिछड़े वर्ग आधारित पार्टी ही है, सामान्य वर्ग का भी सम्मान करती है।
पिछड़े वर्ग का वोट हमारे साथ है। भाजपा राम के नाम पर उनको बहका कर अपने पक्ष में जोड़ने की कोशिश कर रही है। नगरीय चुनाव में यह ओबीसी को बहुत प्रभावित नहीं कर पाएंगे।
जहां तक मुसलमानों की बात है। अखिलेश केवल मुसलमानों के नेता नहीं हैं ,सर्व समाज के नेता हैं। मुस्लिम बिरादरी में पसमांदा हो या ऊपरी तबके के लोग सब ने पिछले विधानसभा चुनाव में अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट दिया था। मुसलमान कहीं नहीं जाएंगे। भाजपा चाहे जो बोले लेकिन जिस ढंग से वह काम कर रही है वह एंटी मुस्लिम है।
2.. सपा के बचे खुचे कैडर को भाजपा टारगेट कर यही है। इसके मददेनजर सपा की क्या रणनीति है?
जवाब –सत्ताधारी दल के तमाम हाथ पैर होते हैं। जिसके कारण वह दबाव डालते हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक,आसाम, गोवा, मध्यप्रदेश हो या जहां अभी भी गैर भाजपा की सरकारें थी या हैं, वहां पर वह अपनी सरकार स्थापित करने के लिए हर हथकंडे अपनाते हैं। अयोध्या मामले से इनका वोट ग्राफ कुछ बड़ा था लेकिन यह 2012 तक तीसरे नंबर पर थे। आज भी गड़बड़ियों को निकाल दिया जाए तो इनका वोट प्रतिशत कम है।
3.. स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान को जिस तरह अखिलेश ने सेलीब्रेट किया। उस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब –कोलकाता में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। उसमें यह तय हुआ कि इस संदर्भ में पार्टी का कोई भी नेता कोई बात नहीं करेगा। हमारे कार्यकर्ता एक खास विचारधारा के कार्यकर्ताओं से ज्यादा टैलेंटेड हैं। सुब्रह्मण्यम स्वामी को जब चौधरी चरण सिंह ने राज्यसभा में भेजा था।
उस दौरान हम उनके साथ दिल्ली जा रहे थे। उन्होंने किस्सा सुनाया कि हनुमान जी से कृष्ण जी ने कहा कि वे भाजपा और आर एस एस की सदस्यता लेना चाहते हैं।
हनुमान ने कहा कि नागपुर चलना पड़ेगा। दोनों लोग नागपुर पहुंच गए। मुख्यालय के बाहर एक आदमी छेनी हथौड़ी लेकर आ गया। कृष्ण ने कहा कि इसका क्या काम तो उसने कहा कि आपके सिर का जो ऊपरी सिस्टम है उसको खोल कर हम अपना वाला सिस्टम इसमें डालेंगे तब आप सदस्य बन सकते हैं।
इससे आप उनकी मंशा समझ सकते हैं। राष्ट्रधर्म भी बिना समाजवाद के नहीं चल सकता। आप श्रीलंका का उदाहरण ले लीजिए। संपन्नता के साथ राष्ट्रवाद चले तो समाजवाद जरूरी है।
4..आपको नहीं लगता कि डा लोहिया की वैचारिकी प्रभावित हुई है?
जवाब –बिना समाजवाद के रामराज आ ही नहीं सकता। भाजपा की व्यवस्था पूंजीवादी व्यवस्था है। सपा सर्व समाज की बात करती है। समाजवादी व्यवस्था ही रामराज है।
इसीलिए इंदिरा गांधी की पहल पर 1973 में संविधान संशोधन कर समाजवाद शब्द जोड़ा गया था। समाजवादी व्यवस्था सब को आगे बढ़ने का अवसर देती है।
समाजवादी वैचारिकी के कमजोर होने सवाल ही नहीं है।  जिस समाजवाद की कल्पना, डॉक्टर लोहिया ने की थी वह कमजोर तबके के लोगों को लेकर चलने के लिए थी।
एक रास्ता तय हुआ था। पुराना कैडर तो नहीं रहा लेकिन पार्टी प्रशिक्षण शिविर चला रही है और कार्यकर्ताओं को समाजवाद के बारे में बताया जाता है। सपा समाज के हर कमजोर तबके की आवाज है।
5..उत्तर प्रदेश में योगीसरकार की कार्यप्रणाली पर क्या कहना चाहेंगे?
जवाब –योगी सरकार पर क्या टिप्पणी करूं वह कानून व्यवस्था की तो बात करते हैं लेकिन खुद कानून का पालन नहीं करते हैं। हर तरफ अराजकता, जोर जबरदस्ती का माहौल है।
6..युवा पीढ़ी को क्या संदेश देना चाहेंगे।
जवाब –युवाओं को धर्म की आड़ में बरगलाया जा रहा है। नौजवानों का हित समाजवाद में ही निहित है। नौजवानों का चाहिए आगे आए और पूंजीवादी व्यवस्था को कमजोर करें।
Radio_Prabhat
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