जुबिली न्यूज डेस्क
राज्यसभा में मंगलवार (11 मार्च) को नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच तीखी बहस हुई। उपसभापति द्वारा खरगे को बोलने से रोके जाने के बाद खरगे ने कहा कि यहां तानाशाही चल रही है। जब चेयर ने उन्हें फिर से टोका, तो खरगे ने जवाब दिया, “क्या-क्या ठोकना है, हम ठीक से ठोकेंगे, सरकार को ठोकेंगे।” इस पर जेपी नड्डा ने इसे चेयर का अपमान बताया।
जेपी नड्डा ने कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान नेता विपक्ष, जिनका संसद और विधानसभा में लंबा अनुभव है, उन्होंने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया। यह निंदनीय है। चेयर के प्रति जो शब्द कहे गए, वे अस्वीकार्य हैं और माफी के योग्य नहीं हैं। फिर भी, एलओपी को माफी मांगनी चाहिए और अपने शब्दों को वापस लेना चाहिए।”
इसके बाद, मल्लिकार्जुन खरगे ने सदन में बवाल बढ़ने के बाद माफी मांगी। उन्होंने कहा, “मैं माफी चाहता हूं। मैंने आपके लिए नहीं, सरकार के लिए बोला है। अगर मेरी बातों से आपको ठेस लगी हो, तो मैं माफी चाहता हूं। मेरा कहना है कि अगर आप देश के एक हिस्से के बारे में कहते हैं कि वे सिविलाइज्ड नहीं हैं, तो मंत्री से इस्तीफा लें। वह देश को तोड़ने की बात कर रहे हैं।”
खरगे की माफी मांगने के बाद, नेता सदन ने इसे सराहा, लेकिन नड्डा ने खरगे द्वारा सरकार के बारे में इस्तेमाल की गई शब्दावली को भी निंदनीय बताया और कहा कि इसे संसदीय कार्यवाही से हटाया जाना चाहिए।
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इसके अलावा, ‘ट्रेनिंग’ को लेकर भी बहस हुई। कार्यवाही के दौरान उपसभापति हरिवंश नारायण ने केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू का नाम लेकर उन्हें दस्तावेज रखने को कहा, लेकिन वह सदन में मौजूद नहीं थे। इस पर विपक्षी सांसदों ने आपत्ति जताई और कहा कि यह शर्म की बात है। खरगे ने कहा, “नेता सदन ने सोमवार को कहा था कि नेता प्रतिपक्ष और विपक्षी सदस्य को सदन के नियमों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। मैं पूछता हूं, आप क्यों ट्रेनिंग नहीं लेते? आपके लोग समय पर नहीं आते, मंत्री भी नहीं आते। यह शर्म की बात है।”