जुबिली न्यूज डेस्क
लोकसभा में मथुरा से बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने केंद्र की आयुष्मान भारत योजना पर सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि हालांकि लोग आयुष्मान कार्ड के पात्र हैं, फिर भी उन्हें इलाज के लिए पैसे देने पड़ते हैं और अस्पतालों में बेड की कमी भी सामने आ रही है। सांसद के इस सवाल पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने विस्तृत जवाब दिया।
हेमा मालिनी ने संसद में पूछा कि आयुष्मान भारत योजना, जो 50 करोड़ लाभार्थियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है, फिर भी इसके बावजूद कई शिकायतें हैं। उन्होंने बताया कि आयुष्मान कार्ड के बावजूद कई मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिलता या उन्हें जरूरी दस्तावेज न होने के कारण इलाज से मना कर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, मरीजों को आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद पैसे देकर इलाज कराना पड़ता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी सवाल किया कि देश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, बीमारियों के उन्मूलन, और स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में क्या सुधार हुए हैं।
जेपी नड्डा ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आयुष्मान भारत योजना 63 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचा रही है, और यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि यदि किसी विशेष मामले में कोई समस्या हो, तो उसे वे व्यक्तिगत रूप से देखेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि आयुष्मान योजना से हाशिए पर रहने वाले और ग्रामीण इलाकों के लोगों को विशेष लाभ हुआ है। इसके तहत 0.09.2024 तक लगभग 5.19 लाख स्वास्थ्य कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, मौजूदा उप-स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी) को अपग्रेड कर 1,76,573 आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) बनाए गए हैं, जो लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि गैर-संचारी बीमारियों के नियंत्रण और रोकथाम के लिए 770 जिला एनसीडी क्लिनिक, 372 जिला डे केयर सेंटर, 233 कार्डियक केयर यूनिट्स और 6410 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं।
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मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते हुए, जेपी नड्डा ने बताया कि मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 2014-16 में 130 प्रति लाख जीवित जन्मों से घटकर 2018-19 में 97 प्रति लाख जीवित जन्म हो गई है। वहीं, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 2014 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 39 से घटकर 2020 में 28 हो गई है।