जुबिली न्यूज डेस्क
गुरुवार को केरल के विधानसभा में सर्वसम्मति से विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था। इस विशेष सत्र में सबसे चर्चा का मामला ये रहा कि सत्र में बीजेपी के इकलौते विधायक ओ राजगोपाल ने प्रस्ताव का विरोध नहीं किया।
भाजपा विधायक के समर्थन के बाद से बीजेपी नेतृत्व के लिए अजीब स्थिति पैदा हो गई। मीडिया से बातचीत में विधायक ने बताया कि उन्होंने क्यों इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
राजगोपाल ने कहा कि उन्होंने प्रस्ताव का समर्थन किया है और लोकतंत्र की भावना के लिए आम सहमति का साथ दिया।
हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्टीकरण भी दिया कि वे कृषि कानूनों या केंद्र सरकार के विरोध में नहीं हैं।
उन्होंने प्रस्ताव पर वोट नहीं किया और स्पीकर ने प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास होने की घोषणा कर दी। जब भाजपा विधायक से पूछा गया कि क्या वे प्रस्ताव का समर्थन करते हैं तो उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं को लेकर उनकी चिंताएं थीं जो उन्होंने अपने भाषण में कही भी।
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उन्होंने कहा, “मैंने अपनी राय दी, लेकिन वो सहमति नहीं है। मैं मानता हूं. क्या ये लोकतंत्र की भावना नहीं है?”
भाजपा विधायक के मुताबिक बीजेपी के लिए कोई समस्या खड़ी नहीं की है। उन्होंने कहा कि “मेरे हिसाब से ये लोकतात्रिक भावना है।”
विपक्षी यूडीएफ़ ने प्रस्ताव का समर्थन किया लेकिन इसकी आलोचना भी की कि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तीखा नहीं है।
यूडीएफ का कहना था कि राज्य इन केंद्रीय कानूनों को काउंटर करने के लिए अपने स्तर पर कानून बनाने में भी देरी कर रहा है।
दरअसल गुरुवार को केरल के विजयन की सरकार ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए एक घंटे के लिए विशेष सत्र बुलाया था।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सरकार विधानसभा का सत्र काफी पहले बुलाना चाहते थे, लेकिन राज्यपाल ने पहले सत्र बुलाने की मंजूरी नहीं दी थी। इस पर काफी विवाद भी हुआ था, लेकिन बाद में राज्यपाल ने इस सत्र के लिए सहमति जताई।
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इससे पहले विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, ‘ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जहां केंद्र सरकार द्वारा कृषि उत्पादों की खरीद की जाए और उचित मूल्य पर जरूरतमंदों को वितरित किया जाए। इसके बजाय, इसने कॉरपोरेट्स को कृषि उत्पादों में व्यापार करने की अनुमति दी है। केंद्र किसानों को उचित मूल्य प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है।’
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि किसानों का प्रदर्शन जारी रहा तो केरल बुरी तरह प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि यदि कृषि उत्पाद केरल में आना बंद हो जाए तो राज्य में भूखे रहने की नौबत आ सकती है। उन्होंने किसानों के प्रदर्शन को ऐतिहासिक बताया और अनुरोध किया कि केंद्र किसानों की मांग मानते हुए कृषि कानूनों को रद्द कर दें।