Saturday - 26 October 2024 - 3:01 PM

चीन के सबसे बड़े परमाणु सेंटर के 90 वैज्ञानिकों ने क्यों दिया इस्तीफा ?

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी की शुरुआत से चीन लगातार चर्चा में बना हुआ है। कभी कोरोना को लेकर तो कभी पड़ोसी देशों की जमीन पर कब्जे को लेकर तो कभी अमेरिका से तनातनी को लेकर। चीन की हरकत की वजह से से दुनिया के तो कई देश नाराज हैं। अब तो आलम यह है कि चीन सरकार की हरकतों की वजह से उनके अपने वैज्ञनिक ही नाराज हो गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन में एक बड़ा संकट उभर आया है। वहां के सबसे बड़े एक सरकारी परमाणु संस्थान में एक साथ 90 परमाणु वैज्ञानिकों ने इस्तीफा दे दिया है। वैज्ञानिकों के इस कदम से सरकार सकते में आ गई है। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं और इसे ‘ब्रेन ड्रेन’  बताया है।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ‘चीन के सबसे अ’छे दिमाग माने जाने वाले’  लोगों का संवेदनशील जानकारी तक एक्सेस है और अब उनके अचानक इस्तीफे से चीन की सरकार साजिश की आशंका जता रही है।

जिन परमाणु वैज्ञानिकों ने इस्तीफा दिया है, वो चीन के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी सेफ्टी टेक्नोलॉजी (INEST) में कार्यरत थे। यह संस्थान चीन के पूर्वी शहर हेफेई में स्थित है। यह संस्थान चीन के सरकारी चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस का हिस्सा है। चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस चीन का सबसे शीर्ष रिसर्च निकाय है।

वियोन न्यूज डॉट कॉम के अनुसार, INEST को एडवांस न्यूक्लियर एनर्जी और सेफ्टी टेक्नोलॉजी में काफी महारत हासिल है और यह संस्थान 200 से अधिक रिपोर्ट के अनुसार, इस संस्थान में 600 वैज्ञानिक हैं और इनमें से 80 फीसदी पीएचडी डिग्री धारक हैं।

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यह संस्थान कुछ दिनों पहले वर्चुअल न्यूक्लियर पॉवर प्लांट विकसित करने को लेकर सुर्खियों में रहा था। दरअसल इस वर्चुअल न्यूक्लियर पॉवर प्लांट की मदद से परमाणु संस्थान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

मीडिया की खबरों के अनुसार, INEST और इसके पेरेंट संस्थान के बीच नियंत्रण की भी लड़ाई चल रही है। ऐसा माना जा रहा है कि संस्थान इन दिनों फंडिंग की कमी से जूझ रहा है और ये वजह हो सकती है कि प्राइवेट कंपनियां इन वैज्ञानिकों को लुभा रही हों। माना जा रहा है कि अब संस्थान में सिर्फ 100 के करीब ही वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।

चीन रिसर्च का काम सरकारी यूनिवर्सिटीज और रिसर्च संस्थानों में ही होता है। ऐसे में माना जा रहा है कि प्राइवेट संस्थानों में अधिक पैसों के ऑफर के कारण भी वैज्ञानिक इस्तीफा दे रहे हों।

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