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चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई ने देश की अदालतों पर लगातार बढ़ रहे मुकदमों से निपटने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। सीजेआई ने इन चिट्ठियों में बढ़ते लंबित मुकदमों का जिक्र किया है। इसके साथ ही लिखा है कि अदालतों में कई सालों से हजारों मामले लंबित पड़े है। इन लंबित पड़े मुकदमों के जल्द निपटारे के लिए जजों की संख्या बढ़ानी होगी।
इसके साथ ही चीफ जस्टिस द्वारा पीएम मोदी को जो चिट्ठी लिखी गई है। उसमें हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र सीमा को भी बढाने का सुझाव दिया है आपको बता दें कि मौजूदा समय में जजों की रिटायरमेंट की उम्र 62 साल है। जस्टिस गोगोई ने इसे 65 वर्ष करने को कहा है उन्होंने चिट्ठी में हाई कोर्ट के जजों की संख्या बढ़ाए जाने का भी सुझाव दिया है। बता दें कि इन दोनों ही मामलों में सरकार को संविधान में संशोधन करना होगा।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री के नाम पत्र में साफ किया है कि अभी सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या के मुताबिक तो संविधान संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए जरूरी है कि पांच जजों की कई संविधान पीठ बनाई जाए पर फिलहाल जजों की सीमित संख्या में ये बहुत मुश्किल है। बता दें कि अभी सुप्रीम कोर्ट में जजों के 31 पद स्वीकृत हैं, फिलहाल इतने ही जज हैं। वहीं, सरकारी आकड़ों के अनुसार, अभी हाई कोर्ट में करीब 44 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 58,700 मामले लंबित पड़े हैं।
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सीजेआई गोगोई का सुझाव दिया है कि लंबित मामलों के निपटारे के लिए सरकार सेवानिवृत्त जजों को फिक्स कार्यकाल के लिए नियुक्त करने की व्यवस्था लागू कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए सीजेआई गोगोई ने लिखा है कि लंबित मुकदमों का ये हाल है कि यहां 26 मुकदमे 25 साल, 100 से ज्यादा मुकदमे 20 साल, करीब 600 मुकदमे 15 साल और 4980 मुकदमे पिछले दस साल से चल ही रहे हैं।