- जर्मनी में महिला खतना के मामलों में 44 फीसदी का उछाल
जुबिली न्यूज डेस्क
विश्व स्वास्थ्य संगठन कई बार महिला खतना को लेकर चिंता व्यक्त कर चुका है। इस पर प्रतिबंध लगाने की लंबे समय से मांग हो रही है, बावजूद जहां पाबंदी है वहां भी महिला खतना धड़ल्ले से हो रहा है।
यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले विकसित देश जर्मनी में बीते तीन सालों में ही महिला खतना के मामलों में 44 फीसदी बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। आधुनिक जीवनशैली वाले जर्मनी में पाबंदी के बावजूद यह काम हो रहा है। यह खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है।
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रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी में इस समय कम से कम 68,000 ऐसी महिलाएं हैं जो खतना परंपरा की शिकार हैं। हलिया एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि केवल साल 2017 से अब तक ही महिला खतना के मामलों में करीब 44 फीसदी की उछाल आई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस समय भी कम से कम 15,000 लड़कियां इस खतरे की जद में हैं, जबकि जर्मनी में खतने पर कानूनन पूरी तरह प्रतिबंध है। फिर सवाल उठता है इस आधुनिक जीवन शैली वाले देश में इन मामलों में इतना बड़ा उछाल क्यों आया?
इसकी वजह गिनाते हुए जर्मनी की पारिवारिक मामलों की मंत्री ने आप्रवासन को इसकी बड़ी वजह बताया है। पत्रकारों से बातचीत में मंत्री फ्रांसिस्का गिफे ने कहा कि ऐसे तमाम देशों से बहुत बड़ी संख्या में लोग आकर जर्मनी में रह रहे हैं जहां महिला खतना की परंपरा आम है। यही कारण है कि जर्मनी में इनकी तादाद में अचानक इतनी बढ़त आई है।
हाल-फिलहाल अभी जिन हजारों लड़कियों पर यहां खतना कराए जाने का खतरा मंडरा रहा है उनके बारे में बोलते हुए मंत्री गिफे ने बताया कि “महिलाओं का खतना किया जाना मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। यह एक ऐसा प्राचीन अपराध है जिससे महिलाओं और लड़कियों की शारीरिक संपूर्णता और अपने यौन मामलों में खुद निर्णय लेने का अधिकार उनसे छीन लिया जाता है।”
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गिफे ने बताया कि तमाम अध्ययन और शोध दिखा चुके हैं कि कैसे इसका बुरा असर “जिंदगी भर शारीरिक और मानसिक स्तर पर पीडि़तों के साथ रहता है।”
गिफे ने कहा कि ” खतना से लड़कियों और महिलाओं को बचाना और उन्हें मदद मुहैया कराना ” उनका मकसद है। इसके लिए उन्होंने स्थानीय समुदायों के स्तर पर इन मामलों को और बढऩे से रोकने के कदम उठाने की बात कही है।
जर्मनी में पिछले तीन सालों में इतना बड़ा उछाल उन समुदायों के कारण आया है जो यहां दूसरे देशों से आकर रहने लगे हैं। इसमें एरिट्रिया, सोमालिया, इंडोनेशिया, मिस्र और नाइजीरिया के लोग शामिल हैं। इनमें से कई लोग छुट्टियों में अपने मुल्क वापस जाकर ऐसा करवा लेते हैं या फिर कई लोग खुद ही अपने बच्चों का चुपके से खतना कर देते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक विश्व भर में इस समय कम से कम 20 करोड़ महिलाएं और बच्चियां खतना के शिकार बनाए जा चुके हैं।
कानून के मुताबिक अगर जर्मनी में किसी के खतना होने का पता चलता है तो उस परिवार को सजा हो सकती है। जहां कई लोगों को इस नियम का पता नहीं है तो वहीं कई लोग कानून से डरते नहीं हैं। कई सारे ऐसे फेसबुक ग्रुप भी हैं जहां महिलाएं खतने के बारे में बात करती हैं और इस कुप्रथा से अपनी बच्चियों को बचाने की योजना बनाती हैं लेकिन उनके पास जानकारी का अभाव दिखता है।