जुबिली स्पेशल डेस्क
दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि यह पूजा प्रकृति की पूजा है। इसका आरम्भ श्रीकृष्ण ने किया था। इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है।
इस त्योहार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है। इस पूजा का आरम्भ ब्रज से हुआ था और धीरे-धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हुई। इस बार अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व 13 नवंबर यानी आज है।
क्यों मनाते हैं गोवर्धन पूजा?
गोवर्धन पूजा से संबंधित एक प्राचीन कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों से इंद्रदेव की पूजा करने के बजाय गोवर्धन की पूजा करने की बात कही।इससे पहले गोकुल के लोग इंद्रदेव को अपना इष्ट मानकर उनकी पूजा किया करते थे।
भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को बताया कि गोवर्धन पर्वत के कारण ही उनके जानवरों को खाने के लिए चारा मिलता है। साथ ही गोकुल में बारिश होती है। इसलिए इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा की जानी चाहिए।
इस बात का पता जब इंद्रदेव को चला तो वो क्रोधित हो गये और बृज में तेज मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। तब श्रीकृष्ण भगवान ने बृज के लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर बृजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था। इसके बाद बृज के लोगों ने श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाया था। इससे खुश होकर श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों की हमेशा रक्षा करने का वचन दिया था।
शुभ मुहूर्त
- हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन अनुराधा नक्षत्र के साथ शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाला है। बता दें सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 3 बजकर 23 मिनट से शुरू हो रहा है।
- आचार्य राम गोपाल शुक्ला के मुताबिक, गोवर्धन पूजा (14 नवंबर) को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक है।
- पूजा की अवधि कुल 2 घंटे 9 मिनट की होगी। वहीं, इस दिन शोभन योग और अनुराधा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है।
- शोभन योग 14 नवंबर को सुबह से दोपहर 1 बजकर 7 मिनट तक है।
- वहीं, अनुराधा नक्षत्र सुबह से लेकर 15 नवंबर की रात 3 बजकर 24 मिनट तक।