जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी के बीच में अमेरिका में कल मतदान होना है। इस बार का अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव कई मायनों में अलग रहा है। एक ओर यह दुनिया का सबसे महंगा चुनाव बनने जा रहा है तो वहीं अब खबर है कि मतदान से पहले अमेरिका में भारी संख्या में लोग बंदूके खरीद रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में बड़ी संख्या में लोग बंदूकें खरीद रहे हैं। विरोध प्रदर्शन, ध्रुवीकरण और महामारी के इस दौर में कई लोग तो ऐसे हैं जो पहली बंदूकें खरीद रहे हैं। बंदूकों की हो रही खरीददारी की वजह से कल 3 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चिंता बढ़ गई है।
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एफबीआई के आंकड़ों के मुताबिक बंदूक खरीदने से पहले ग्राहक की जो बैकग्राउंड की जांच होती है, जिसमें जबरदस्त उछाल आया है। आंकड़ों के मुताबिक इस साल मार्च में 37 लाख लोगों के बैकग्राउंड की जांच की गई, जिन्होंने बंदूक खरीदने के लिए आवेदन किया था।
इसी प्रकार जून में यह बढ़कर 39 लाख और सितंबर तक यह बढ़कर 2 करोड़ 88 लाख तक पहुंच गया है। बीते पूरे साल बैकग्राउंड जांच की संख्या 2 करोड़ 84 लाख रही थी, जो कि इस साल सितंबर माह में ही पार हो गई है।
सवाल उठ रहा है कि आखिर अमेरिकी बंदूक क्यों खरीद रहे हैं? न्यूयार्क के आर्थर का कहना है कि उनकी इच्छा नहीं है लेकिन फिर भी उन्हें बंदूक खरीदनी पड़ रही है। 34 वर्षीय आर्थर का कहना है कि इन गर्मियों में उन्होंने ब्लैक लाइव्स मैटर अभियान का आयोजन किया था।
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आर्थर के मुताबिक, वह 50 के करीब लोग थे लेकिन 300 लोगों का हुजूम उनके खिलाफ आ गया, जो ट्रंप के झंडे लिए हुए थे और ऑटोमैटिक बंदूकें हवा में लहरा रहे थे। अश्वेत आर्थर का कहना है कि ‘अब उन्हें भी बंदूक लेना मजबूरी है।’
फिलहाल बंदूकें लेने की जो भी वजहें लोग दे रहे हो लेकिन एक सर्वे के मुताबिक अमेरिका में बंदूक खरीदने वाले 40 फीसदी लोग ऐसे लोग हैं जो पहली बार बंदूक खरीद रहे हैं।
आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले इतनी बड़ी संख्या में साल 2016 में बंदूकें खरीदी गई थीं। उस समय भी अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे।
अमेरिकी नागरिकों का मानना है कि यह साल सामाजिक रूप से बेहद अशांत रहा है। इस दौरान परंपराओं पर सवाल खड़े हुए हैं। इसलिए लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
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आर्थर का कहना है कि “उनके कई रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों ने बूंदके खरीदी हैं और उन्हें चिंता है कि यहां ‘गृह युद्ध’ भी छिड़ सकता है। जब आप देखते हैं कि दूसरी तरफ के लोग कानून की परवाह नहीं कर रहे हैं तो आपको सोचना पड़ता है कि ये लोग क्या कर सकते हैं। यह एक सांस्कृतिक युद्ध है।”
चार दिन पहले ही इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप ऑफ पॉलिसीमेकर्स एंड रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि यूएस में राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में वो सभी चीजें जैसे तनाव, ध्रुवीकरण और दोनों तरफ हिंसक लोग मौजूद हैं, जिनसे अशांति फैल सकती है।
वहीं इस महीने की शुरुआत में ही अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी ने घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था।
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अमेरिका में वामपंथी गुट के कुछ धड़े जैसे सोशलिस्ट राइफल एसोसिएशन और अफ्रीकन अमेरिकन गन एसोसिएशन के लोग भी बंदूके खरीद रहे हैं।
मालूम हो अमेरिका चुनाव में भी बंदूकों पर प्रतिबंध एक अहम मुद्दा बना हुआ है। डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन ने असॉल्ट राइफल्स पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया है।