जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी के चलते बच्चों के स्कूल घर की चहारादीवारी और कम्प्यूटर तक सीमित हो गया है। मार्च से पूरे देश में स्कूल बंद हैं, जिसके चलते स्कूल ऑनलाइन क्लास दे रहे हैं। ऑनलाइन क्लासेस में भी कम परेशानी नहीं है। जितने परेशान बच्चे हैं उससे कहीं ज्यादा परेशान माता-पिता हैं। यदि यह कहें कि अभिभावक डरे हुए हैं तो गलत नहीं होगा।
माता-पिता क्यों डरे हुए हैं यह भी जान लीजिए। माता-पिता का डर यूं ही नहीं है। अभिभावकों ने अपना डर सुप्रीम कोर्टमें बताया है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें मांग की गई है कि भारत के संघ (UOI) को निर्देश दिया जाए कि वे बच्चों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन वर्चुअल कक्षाओं के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश जारी करे।
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यह मांग उन माता-पिता की तरफ से की गई है जिनका मानना है कि इंटरनेट पर उपलब्ध अप्रिय सामग्री से उनके बच्चों को खतरा है। यह याचिका डॉ नंद किशोर गर्ग ने अपने वकील शशांक देव सुधी के माध्यम से दायर की है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि ऑनलाइन क्लास के चलते छोटे बच्चे इंटरनेट और अनगिनत ओपन वेबसाइटों पर उपलब्ध अप्रिय सामग्रियों के संपर्क में हैं, जिनका बच्चों के सर्वांगीण विकास पर गंभीर असर पड़ता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से निर्देश मांगा कि पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड और सुरक्षित तरीके से ऑनलाइन कक्षाएं होस्ट करने के लिए व्यापक दिशा निर्देश तैयार करने तक ऑनलाइन कक्षाओं को बंद करने का आदेश दिया जाए।
उन्होंने आगे यह भी मांग की कि दिशा निर्देशों में सत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान कई इंटरनेट संचालित निषिद्ध वेबसाइटों की पहुंच को रोकने के लिए एक उचित तंत्र होना चाहिए।
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वकील शशांक देव सुधी ने कहा कि ह्रढ्ढ सहित शैक्षणिक इकाइयों को समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उन बच्चों के लिए कंप्यूटर उपकरणों को सुनिश्चित करने के लिए एक उचित तंत्र विकसित करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए, जिन्हें तालाबंदी के दौरान ऑनलाइन लर्निंग में परेशानी उठानी पड़ी है।