न्यूज डेस्क
राजनीति में न कोई दोस्त होता है और न दुश्मन। राजनीति में सिर्फऔर सिर्फ फायदा देखती है। ऐसा ही कुछ हरियाणा की राजनीति में हुआ है जिसकी वजह से शिरोमणि अकाली दल अपनी सहयोगी दल भाजपा से नाराज हो गई है और उसने अकेले चुनाव लडऩे का फैसला कर लिया।
दरअसल शिरोमणि अकाली दल को भाजपा से ऐसी उम्मीद नहीं थी। अकाली दल ने ऐसा फैसला इसलिए किया क्योंकि राज्य में पार्टी के एकमात्र विधायक ने भाजपा का दामन थाम लिया।
कालांवाली के विधायक बलकौर सिंह ने गुरुवार को नई दिल्ली में भाजपा में शामिल हो गए। इस मौके पर उन्होंने हरियाणा को एक ‘ईमानदार’ सरकार देने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की प्रशंसा की थी।
भाजपा के इस कदम पर अकाली दल के प्रवक्ता डॉ दलजीत सिंह चीमा ने कहा, ‘ऐसे समय में जब हम सीट बंटवारे को लेकर उनसे बातचीत कर रहे थे तो उन्होंने हमारे विधायक को पार्टी में शामिल कर लिया। इस अनैतिक कदम का विरोध करने के लिए हमने उनके साथ गठबंधन तोडऩे का फैसला किया है।’
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वहीं इस मुद्दे पर पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में अमृतसर में अकाली दल की कोर कमेटी की एक बैठक हुई।
इसके बाद जारी बयान में अकाली दल कहा कि भाजपा ने न केवल उसे धोखा दिया है, बल्कि वह हरियाणा विधानसभा चुनाव के संबंध में की गई प्रतिबद्धताओं से भी पीछे हट गई है।
भाजपा के कदम को ‘गठबंधन धर्म’ के सिद्धांत के खिलाफ बताते हुए शिरोमणि अकाल दल ने कहा कि भाजपा का विधायक को अपनी पार्टी में शामिल कर लेना अवांछनीय है, जिसकी इतने पुराने सहयोगी से उम्मीद नहीं थी।
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