न्यूज डेस्क
नागरिकता संसोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन हो रहा है और बीजेपी इसे रोकने में नाकाम है। हालांकि इस विरोध-प्रदर्शन के बीच केन्द्र सरकार ने नागरिकता संसोधन कानून लागू कर दिया है। बीजेपी भले ही इस मामले में झुकने को तैयार नहीं है लेकिन अब पार्टी के भीतर भी विरोध शुरु हो गया है।
मध्य प्रदेश के भोपाल में बीजेपी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के 48 सदस्यों ने सीएए का विरोध करते हुए पार्टी छोड़ दी है। इन कार्यकर्ताओं ने पार्टी के भीतर भेदभाव की शिकायत की है। इनका आरोप है कि पार्टी के कुछ सदस्यों ने एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है।
वहीं भोपाल बीजेपी के जिला अल्पसंख्यक सेल उपाध्यक्ष आदिल खान ने सीएए और एनआरसी का विरोध जताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
11 जनवरी को इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा कि, “क्या आपने कभी किसी ऐसी सरकार को देखा है जिसने संसद में कानून पारित करने के बाद उसके लिए घर-घर जाकर समर्थन मांगे।”
बीजेपी छोड़ने वाले सदस्यों ने राज्य के अल्पसंख्यक प्रमुख को यह कहते हुए पत्र लिखा है कि पार्टी श्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांतों का पालन करती है, लेकिन उन्होंने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया और अल्पसंख्यकों सहित सभी को अपने साथ लेकर चले थे।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि पार्टी में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पूरी पार्टी को दो-तीन लोगों के भरोसे छोड़ दिया गया है। हालांकि, बीजेपी ने इन आरोपों का खंडन किया है और कांग्रेस और कम्युनिस्टों पर उन्हें गुमराह करने का आरोप लगाया है।
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