जुबिली न्यूज डेस्क
तालाबंदी ने लोगों को कितना नुकसान पहुंचाया है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल हैं। तालाबंदी ने लोगों को सिर्फ आर्थिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी नुकसान पहुंचाया है। कोई नौकरी चले जाने की वजह से तनाव में था तो कोई कमाई कम होने की वजह से। कुल मिलाकर इस तालाबंदी के दौरान लोगों का स्ट्रेस लेवल बहुत बढ़ गया था।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि अप्रैल से जून के बीच देशवासियों का स्ट्रेस लेवल बहुत बढ़ गया। इनमें सबसे ज्यादा मुंबई में रहने वाले परेशान हैं। उनके स्ट्रेस में 48 पर्सेंट तक की बढ़ोतरी हुई है।
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यह स्टडी ऑनलाइन मेंटल हेल्थ प्लेटफार्म YourDost ने भारत में कोविड और लॉकडाउन के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़े प्रभावों को लेकर की थी। इस स्टडी में 8,396 लोग शामिल हुए।
स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई की स्थिति देश के बाकी शहरों से काफी चिंताजनक है। बेंगलुरु में यह आंकड़ा 37 पर्सेंट, दिल्ली-एनसीआर में 35 पर्सेंट और चेन्नै में सबसे कम 23 पर्सेंट रही।
65 पर्सेंट नागरिक हुए तनावग्रस्त
स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक तालाबंदी का देश भर में व्यापक असर पड़ा है। 65 पर्सेंट नागरिकों को सामान्य से लेकर गंभीर तनाव का सामना करना पड़ा है। इस दौरान सबसे बड़ा सवाल यह रहा कि कोरोना महामारी आखिर कब तक चलेगी।
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स्टडी रिपार्ट में बताया गया कि तालाबंदी के दौरान लोगों की एंग्जाइटी या बेचैनी में 41 पर्सेंट बढ़ोतरी हुई जबकि गुस्से और चिड़चिड़ेपन में 38 पर्सेंट का इजाफा हुआ। लोगों की खुशियों में 6 पर्सेंट की कमी आई और 59 पर्सेंट लोगों ने शिकायत की कि उनकी वर्क लाइफ बैलेंस इस चक्कर में गड़बड़ा गई।
सबसे ज्यादा प्रभावित हुए स्टूडेंट्स
ऑनलाइन मेंटल हेल्थ प्लेटफार्म YourDost के चीफ साइकोलॉजी अफसर डॉ जिनी के गोपीनाथ ने बताया कि तालाबंदी से हर कोई प्रभावित हुआ लेकिन सबसे ज्यादा स्ट्रेस लेवल (39पर्सेंट) स्टूडेंट्स में बढ़ा। स्टूडेंट के बाद इसका ज्यादा असर कामकाजी लोगों (35 पर्सेंट) में देखने को मिला। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लॉकडाउन बढ़ेगा स्टूडेंट्स का तनाव भी बढ़ेगा। इस दौरान नींद की क्वॉलिटी में भी 11 पर्सेंट की गिरावट आई।
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