न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश में सियासी उथल-पुथल के बीच अब एक अहम सवाल-कौन बनेगा मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री? कमलनाथ के इस्तीफे के बाद यह सवाल बेहद अहम हो गया है। हालांकि अधिकांश लोगों के दिमाग में मध्य प्रदेश के सीएम उम्मीदवार को लेकर शिवराज सिंह चौहान का ही नाम है, लेकिन सियासत में कब, क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। इसलिए यह कहना कि मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ही बनेंगे जल्दबाजी होगी।
मध्य प्रदेश में सियासी उठापठक के बीच भारतीय जनता पार्टी के नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा तेज हो गई है। मध्य प्रदेश बीजेपी के कुछ नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश में मंत्री रहे नरोत्तम मिश्रा का भी नाम ले रहे हैं। हालांकि शिवराज सिंह चौहान को ही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे बताया जा रहा है।
हालांकि बीजेपी में निर्णायक पदों पर बैठे लोगों ने अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है कि प्रदेश की कमान किस नेता के हाथ में दी जाने वाली है। बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व जल्द ही इस बारे में फैसला कर सकता है।
कमल नाथ के इस्तीफे के साथ ही बीजेपी के नेतृत्व में नई सरकार के गठन की कवायद तेज हो गयी है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक शिवराज सिंह मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे हैं। इसकी बड़ी वजह भी है।
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दरअसल चौहान एक लोकप्रिय चेहरा हैं। वह शांत मिजाज शख्स हैं और संघ से उनके रिश्ते मजबूत हैं। ये सब देखते हुए शिवराज सबसे मजबूत दावेदार हैं और पार्टी में उन्हें किसी से चुनौती मिलना मुश्किल है।
इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले 61 वर्षीय शिवराज सिंह चौहान 13 सालों तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। साल 2018 में उनके सत्ता से बाहर होने के बाद, केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाया और राज्य में प्रमुख संगठनात्मक जिम्मेदारियों के साथ-साथ नेताओं की एक नई टीम भी दी। बाजवूद इसके शिवराज को पार्टी के भीतर से खामोश चुनौती भी मिल रही है। नरोत्तम मिश्रा से लेकर नरेंद्र सिंह तोमर तक के नाम हवा में हैं। इसलिए कोई खुल कर कुछ नहीं बोल रहा है।
शुक्रवार को कमलनाथ के इस्तीफे के कुछ ही मिनटों बाद पत्रकारों ने जब कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से पूछा कि क्या वो भोपाल जाने को तैयार हैं तो वह कुछ भी बोलने से बचते दिखे। जब तोमर से यह पूछा गया कि वे केंद्र की राजनीति में रहेंगे या राज्य की राजनीति में जाने को तैयार हैं? इस पर उन्होंने कहा कि पार्टी की बैठक होने दो। क्या होता है वो देखंगे।
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया के मुताबिक पार्टी के पास योजना है। उम्मीद है कि कोई कठिनाई नहीं होगी। बीजेपी के पास अनुभवी नेतृत्व है। परंपरा के आधार पर नेतृत्व का चयन होगा। विधायक दल नए मुख्यमंत्री का चयन करेगा, यह प्रक्रिया केंद्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में होगी। कर्नाटक में भी ऐसा ही हुआ है।
फिलहाल मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के जाने के बाद भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के सामने चुनौती सबकी सहमति से मुख्यमंत्री चुनकर राज्य में एक स्थिर सरकार चुनने की होगी। साथ ही उसने इन सभी विधायकों को भी संतुष्ट करना होगा जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के साथ आए हैं।
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