मल्लिका दूबे
गोरखपुर। पूर्वांचल में रहने वाले बाबा शब्द के दो निहितार्थ जरूर जानते हैं। एक तो यहां ब्रााह्मणों को जन सामान्य प्राय: बाबा संबोधन से बुलाता है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। दूसरा गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वर को भी सम्मान से ग्रामीण धर्म परायण लोग बाबा के संबोधन से ही बुलाते हैं।
ब्राह्मलीन होने से पूर्व तक महंत अवेद्यनाथ को लोग बड़का बाबा और आदित्यनाथ को छोटका बाबा कहकर बुलाते थे। अभी भी तमाम लोगों के लिए योगी आदित्यनाथ के प्रति संबोधन महराज जी या बाबा जी ही होता है। वर्तमान संसदीय चुनाव में कांग्रेस अभी तक बाबा यानी योगी आदित्यनाथ के गढ़ में प्रत्याशी नहीं तलाश सकी है। ऐसी चर्चाएं हैं कि उसे यहां किसी बाबा यानी ब्रााह्मण प्रत्याशी की तलाश है।
बाबा की तलाश क्यों
वर्ष 1989 के संसदीय चुनाव से ही गोरखपुर में कांग्रेस की हालत बेहद खराब है। पार्टी करीब तीन दशक में हुए नौ लोकसभा चुनावों में कभी भी मुख्य मुकाबले में नहीं आ सकी है। इस चुनाव में भी अब तक के हालात कांग्रेस के लिए पुराने जैसे ही दिख रहे हैं।
भाजपा ने वर्तमान चुनाव के लिए यहां फिल्म स्टार रवि किशन शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है जबकि सपा-बसपा गठबंधन से सपा प्रत्याशी हैं पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद।
कांग्रेस का चुनावी टारगेट बीजेपी के विजय रथ पर लगाम लगाने का है। ऐसे में उसके खेमे से ऐसे प्रत्याशी के आने की चर्चा है जो बीजेपी को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचा सके। ऐसे में ब्रााह्मण प्रत्याशी ही यहां अधिक मुफीद साबित होगा।
बहरहाल, पार्टी में प्रत्याशी चयन हेतु तमाम ब्रााह्मण चेहरों को लेकर मशक्कत चल रही है। इनमें शहर के एक नामचीन ज्योतिषी के साथ ही निर्दल प्रत्याशी के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ चुके एक चिकित्सक का भी नाम शामिल है।
कल से है पर्चा दाखिला, अभी प्रत्याशी की तलाश पूरी नहीं
गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में 22 अप्रैल, सोमवार से पर्चा दाखिला शुरू हो जाएगा। अन्य प्रमुख दलों ने जहां प्रत्याशी घोषित कर चुनाव प्रचार को तेज कर दिया है, वहीं कांग्रेस अभी तक प्रत्याशी चयन में ही उलझी हुई है।
कांग्रेस का यहां संगठन वैसे भी अन्य दलों की तुलना में कमजोर है, ऐसे प्रत्याशी चयन में देरी से चुनावी लड़ाई के मुख्य मुकाबले में आना आसान नहीं होगा।