जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान ट्रैक्टर रैली के साथ जबरन आईटीओ के पास पहुंच गए जहां पर उनका पुलिस के साथ जोरदार संघर्ष देखने को मिला।
आलम तो यह है कि पुलिस को इसे काबू करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा है। इतना ही नहीं इस दौरान आंसू गैस के गोले दागकर आंदोलनरत किसानों का काबू करने की कोशिश की गई।
जानकारी के मुताबिक इस दौरान करतब दिखाते समय एक ट्रैक्टर पलट गया और एक चालक की मौत हो गई और कई पुलिसकर्मियों के घायल होने की खबर है।
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इसके साथ ही गणतंत्र दिवस पर नेताओं की गैर-मौजूदगी में किसान बेकाबू हो गए। इसके आलावा लाल किले की प्राचीर पर अपने दल के झंडे फहरा दिए। सोचने की बात यह है कि जहां से पीएम 15 अगस्त को तिरंगा फहराते हैं, वहां से देश का नहीं बल्कि कोई और झंडा लहराकर किसानों ने हुड़दंग मचाया लेकिन बड़ा सवाल इस पूरे घटनाक्रम का कौन है जिम्मेदार।
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बता दें कि दिल्ली की सीमा पर बीते दो महीने से आंदोलन कर रहे किसान 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया था और तब दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर परेड में गड़बड़ी की आशंका जताई थी और सुरक्षा के मद्देनजर दिल्ली की सीमा पर बैरिके़डिंग को और दुरुस्त करते नजर आये थे लेकिन फिर भी हिंसा हुई है।
दिल्ली पुलिस बॉर्डर एरिया में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने में की बात कही थी। इस दौरान आईटीओ, यमुना ब्रिज और सुब्रमण्यम भारती मार्ग में पुलिस ने बैरिकेडि़ंग बढ़ा दी गई थी और सुरक्षा की दृष्टि से फायर फाइटर की गाडिय़ों को तैनात थी लेकिन हिंसा इतनी बड़ी थी कि पुलिस के सारे दावों की हवा निकल गई।
बता दें कि किसानों की ट्रैक्टर परेड को लेकर दिल्ली पुलिस की ओर से बड़ा बयान दिया गया है। पुलिस ने ट्रैक्टर परेड में गड़बड़ी की आशंका जताई और कहा कि पाकिस्तान में 308 ट्विटर हैंडल बनाए गए ताकि अव्यवस्था फैलाई जा सके।
हालांकि पुलिस अब अलर्ट है किसानों को शर्तों के साथ दिल्ली में तीन जगहों पर परेड निकालने की इजाजत दी गई है। ऐसी स्थिति में हर कोई जानना चाहता है कि सुरक्षा में कहां चूक हुई है।
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जहां एक ओर किसानों से इस हिंसा को लेकर जवाब मांगा जा रहा है तो दूसरी ओर सरकार ने इसको लेकर कोई ठोस जवाब नहीं दिया है। किसान एकता मार्च ने ट्वीट कर कहा कि हिंसा पैदा करना सरकार की पूर्व नियोजित रणनीति थी।
उन्होंने का डीटीसी बसों में तोडफ़ोड़ करना भ्रामक है। उन्होंने कहा कि बसों को हटाने का प्रयास किया गया था। वहीं योगेंद्र यादव ने कहा कि अभी मुझे पूरी जानकारी नहीं है कि कहां क्या हो रहा है।
मैं शांहजहांपुर परेड में शामिल हूं और यहां सब शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है। दिल्ली में हुई हिंसा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं अभी इस पर कुछ नहीं कहूंगा और अपील करता हूं की सब शांति बनाए रखें।
किसाना केवल शांति के मार्ग से ही जीत सकते हैं। मैं अभी शांहजहांपुर परेड के बीच में हूं और यहां कोई अशांति नहीं है सब शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है।
फिलहाल आंदोलनकारी किसान गाजीपुर बॉर्डर पर लौटने लगे हैं और स्थिति समान्य होने लगी है। उधर गृहमंत्रालय इस पूरी घटनाक्रम पर नजर बनाया और दिल्ली के कई इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को फिलहाल रोक लगा दी गई। दूसरी ओर किसान नेताओं ने दिल्ली में हुई हिंसा से पलड़ा झाड़ लिया है।
ऐसे में सवाल उठता है कि शन्तिपूर्ण रैली निकालने के वादें के साथ शुरू हुई टै्रक्टर परेड उग्र कैसे हुई। क्या इसमें कोई साजिश है। वहीं गणतंत्र दिवस के दिन सुरक्षा मजबूत होती है वहां इस तरह की हिंसा होना सवालों के घेरे में है।